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भाईचारे की मिसाल बने हिन्दू-मुस्लिम दो युवा, देहरादून में किडनी देकर निभाया इंसानियत का फर्ज

देश में जहां कुछ लोग हिंदु-मुस्लिम को लेकर राजनीति कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए हैं, वहीं  कई लोग हिंदु- मुस्लिम में भाईचारे की मिसाल भी पेश करने में लगे हुए हैं। ऐसा ही एक नया मामला हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट देहरादून का। विकांशू और आश मोहम्मद से पूरी दुनियां को सीख लेनी चाहिए। दोनों के धर्म जुदा हैं, लेकिन उन्हें नया जीवन एक-दूसरे के परिवार की वजह से ही मिला। दरअसल दोनों की किडनियां खराब हो गई थीं।

परिवार वालों से ब्लड ग्रुप नहीं मिलने के कारण परिजन अपने बेटों को खुद किडनी नहीं दे सकते थे। स्वजनों से ब्लड ग्रुप न मिलने के कारण हिंदु युवक को मुस्लिम युवक की मां और मुस्लिम युवक को हिंदु युवक के पिता ने किडनी देकर नया जीवन दिया। बिजनौर, उत्तरप्रदेश निवासी विकांशू और मुरादपुर हापुड़ उत्तर प्रदेश आश मोहम्मद की दोनों किडनी खराब थी। दोनों युवक कई सालों से डायलिसिस करा रहे थे। कई अस्पतालों में उपचार कराने के बाद दोनों युवकों के स्वजन उन्हें हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट लेकर आए।

डॉ. चंदेल ने बताया कि आश मोहम्मद का ब्लड ग्रुप विकांशू के पिता ताहर सिंह से और आश मोहम्मद की मां रिजवाना का ब्लड ग्रुप विकांशू से मैच हो गया। यूरोलॉजी विभाग ने दोनों की जरूरी जांचें कराने के बाद दोनों के ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए दोनों विभागों की संयुक्त टीम बनाई गई। इसी टीम ने प्रदेश के पहले किडनी स्वैप ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया।


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