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उत्तराखण्ड: बेटे के शव को लेकर घाट-घाट भटकता रहा पिता… फिर भी नहीं हुआ अंतिम संस्कार

कोरोनाकाल में जहां एक ओर देश में मौत का तांडव हो रहा है। वहीं, मृतकों का अंतिम संस्कार एक बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ है। ऐसे में रुड़की के सिविल अस्पताल में ज़ुकाम और खांसी से पीडि़त युवक की उपचार के दौरान मौत को गई। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने युवक का अंतिम संस्कार इलेक्ट्रॉनिक शवदाह गृह में कराने की सलाह दी तो परिजन शव को हरिद्वार ले आए। इधर, श्मशान घाट के स्वयंसेवकों ने अंतिम संस्कार कराने से इनकार कर दिया। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद भी वह तैयार नहीं हुए। दिनभर एक घाट से दूसरे घाट भटकने के बाद परिजन शव लेकर रुड़की लौट गए।

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रुड़की निवासी एक युवक को सोमवार की शाम बुखार और खांसी आदि की शिकायत होने पर सिविल अस्पताल रुड़की भर्ती कराया गया था। उपचार के दौरान रात करीब दस बजे उसकी मौत हो गई। परिजनों के अनुसार अस्पताल प्रशासन ने उन्हें शव देने से मना कर दिया और कोरोना से मौत होने की आशंका जताते हुए इलेक्ट्रिक शवदाह घर में अंतिम संस्कार कराने की बात कह कर शव हरिद्वार भेज दिया। युवक के पिता के साथ दो कर्मचारी अंतिम यात्रा वाहन से शव को लेकर कनखल श्माशान घाट पहुंचे और वहां उन्होंने इलेक्ट्रिक शवदाह घर के बारे में जानकारी ली, लेकिन वहां मौजूद चौकीदार व अन्य कर्मकांडियों ने उन्हें खडख़ड़ी श्मशान घाट भेज दिया। जब वे खडख़ड़ी पहुंचे तो वहां के स्वयंसेवक और कर्मकांडी डर गए, अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया।

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