शहीदों के मजारों पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा। आजादी के दौरान गूंजा यह ताराना आज भी प्रासंगिक है। देश पर शहीद होने वाले गढ़वाल राइफल्स के जवानों की वीरता की कहानी न सिर्फ उनके गांवों बल्कि देश के फिजाओं में भी गूंजती है। समय समय पर देश के लिए शहादत देकर गढ़वाल राइफल्स के जांबाजों ने एक मिसाल कायम की है। इनकी वीरता का लोहा तो दुश्मन भी मानते हैं। अभी अभी सोशल मीडिया से खबर मिली है कि 16 वीं गढ़वाल राइफल में तैनात सुरेंद्र सिंह मेहरा देश के लिए शहीद हो गए हैं। सुरेंद्र सिंह मेहरा की उम्र 21 साल थी।
ये पोस्ट फेसबुक पर वायरल हो रही है, जिसमें लिखा है कि दुखद समाचार : भारतीय सेना के 16 वी गढ़वाल राइफलi में कार्यरत 21 साल का बहुत सीधा व्यवहार कुशल और मेहनती हमारा छोटा भाई सुरेंद्र सिंह मेहरा का फील्ड फायरिंग ट्रेनिंग के दौरान देश के लिए शहीद हो गया है जो अभी राजस्थान के कोटा में कार्यरत था इस दुखद समाचार से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है ऐसे नौजवान जाबांज बेटा के देश के लिए शहीद होने से पूरा क्षेत्र शोकाकुल है भगवान से प्रार्थना करता हूं देश के लिए शहीद हुए ऐसे जाबांज सिपाही को अपने चरणों में स्थान दे और ऐसा संकट किसी परिवार को ना दें!!!!!!! इस दुखद समाचार सुनकर बहुत कष्ट हुआ भगवान ऐसा दुख किसी परिवार को ना दे और शोकाकुल परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति दे!!!!
दुखद समाचार : भारतीय सेना के 16 वी गढ़वाल राइफलi में कार्यरत 21 साल का बहुत सीधा व्यवहार कुशल और…
Gepostet von रूद्रप्रयाग "कोटेश्वर" दर्शन am Dienstag, 17. Juli 2018