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मासूम कूड़ा बीनकर करता था गुजारा, और अब ’मेडल ब्वाय’ बनकर बोला सेना में जाकर देश की रक्षा करूंगा

वो कहते हैं न कि पंखों से कुछ नहीं होता मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके होशलों में उड़ान होती है अब इसी बात का एक शानदार उदाहरण ये देवभूमि का ये मासूम बच्चा, यह कहानी है बचपन में कूड़ा बीनने वाले बच्चे अजय की। अपने-सपने संस्था के संस्थापक अरुण कुमार यादव ने जब आज से लगभग चार साल पहले अजय को रोड पर कूड़ा बीनता हुए देखा था तो उन्होंने उसे जीवन में आगे बढ़ाने के लिए संस्था में पनाह दी। इसके बाद उसका दाखिला भारूवाला ग्रांट स्थित प्राथमिक विद्यालय में कराया गत वर्ष अजय ने कक्षा चार में प्रथम स्थान हासिल कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे।

पढ़ाई के साथ ही अजय खेल में भी अन्य बच्चों से दो कदम आगे है और इसी का नतीजा है कि उन्होंने दौड़ प्रतियोगिता में दो मेडल जीतकर मिसाल पेश कर दी है। अजय ने खेल विभाग की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में एक गोल्ड और सिल्वर मेडल जीता है। अजय ने जहाँ ब्लॉक स्तर पर गोल्ड मैडल हासिल किया है वहीँ जिलास्तर पर सिल्वर मेडल जीत कर मिसाल पेश की है। हांलाकि, जिला स्तर पर अजय के गोल्ड ना आने के कारण वह राज्य स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रतिभाग नहीं कर पाए। अपने-सपने संस्था ने अजय के सपनों को पंख दिए तो उसने उनसे उड़ान भर ली। अजय ने खेल महाकुंभ में एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीतकर मिसाल कायम की।

अजय का सपना है कि वो जब बढ़ा हो जाएगा तो सेना में जाकर देश की सेवा करेगा क्यूंकि भारतीय सेना ही उन्हें सबसे ज्यादा लुभाती है, सेना में जाने के लिए वह जीतोड़ मेहनत करेंगे। अपने-सपने संस्था के अध्यक्ष अरुण कुमार यादव ने बताया कि उनके एनजीओ में बच्चों को हर हफ्ते दो दिन अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया जाता है। बताया कि एनजीओ में ग्राफिक एरा जैसी यूनिवर्सिटी से कई शिक्षक बच्चों को पढ़ाने आते हैं। फिर यहाँ बच्चों को ट्यूशन के अलावा डांस, गाना, खेल आदि के बारे में विस्तार से बताया जाता है। वहीं, संस्था में इंटर्नशिप करने आए छात्र भी बच्चों के साथ काफी समय बिताते हैं, इस बीच वह पढ़ाई के साथ-साथ अनुशासन, इंग्लिश लैंग्वेज की क्लास देते हैं।


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