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उत्तराखंड: चीन सीमा पर देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज तैयार, जानिये इसकी खूबियाँ

सीमान्त जिले उत्तरकाशी के गंगोरी में असी गंगा नदी पर 70 के दशक में पुल बनाया गया था जो वर्ष 2005 में जर्जर हो गया था। नया निर्माणाधीन पुल वर्ष 2008 में फिनिशिंग के दौरान ही धराशायी हो गया। इसके बाद जर्जर पुराना पुल 2012 को असी गंगा नदी में आई भारी बाढ़ में बह गया था। इस नदी पर दो बार बेली ब्रिज का निर्माण किया गया जो टूट गया। वर्ष 2018 में बना नया बेली ब्रिज फिर से जर्जर स्थिति में पहुँच चूका था।

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अब बेली ब्रिज के स्थान पर देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। असी गंगा नदी पर 70 टन भार क्षमता के इस पुल को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने तैयार किया है। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि कोविड-19 महामारी के चलते अभी पुल का विधिवत उद्घाटन नहीं हो सका है, लेकिन इस पर आवाजाही शुरू कर दी गई है। 190 फीट लंबे इस न्यू जनरेशन पुल का निर्माण पुराने बेली ब्रिज के ही स्थान पर ही किया गया। गंगोरी में पहले लगे बेली ब्रिज 16 से 20 टन भार क्षमता के थे, लेकिन इस पुल की भार क्षमता 70 टन है।

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सड़क निर्माण के लिए मशीनें और सेना के वाहन भी इस पुल से आसानी से जा सकते हैं। बेली ब्रिज की भार क्षमता 20-25 टन और चौड़ाई 3.75 मीटर होती है। इसके निर्माण में केवल लोहे का उपयोग होता है, लेकिन गंगोरी के पास बीआरओ ने जो न्यू जनरेशन ब्रिज तैयार किया है, उसमें स्टील और लोहे के कलपुर्जों का भी उपयोग हुआ है। इसी कारण बेली ब्रिज की तुलना में न्यू जनरेशन ब्रिज का भार कम होता है। इस पुल की चौड़ाई 4.25 मीटर और भार क्षमता बेली ब्रिज से तीन गुना अधिक 70 टन है। हाइवे के पक्के मोटर पुल की भार क्षमता भी 70 टन के आसपास होती है। इसको जोड़ने की तकनीक बेली ब्रिज की तरह है, जो 30 दिनों के अंतराल में तैयार हो जाता है।

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