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गढ़वाल राइफल के जाबांज मेजर पर FIR के बाद बचाव में आये लेफ्टिनेंट कर्नल पिता, जानिये पूरा मामला

बात है 27 जनवरी 2018 की जम्मू कश्मीर के शोपियां के गनोवपोरा गांव में पत्थरबाजों ने आर्मी के कैंप पर जोरदार पत्थरबाजी शुरू कर दी, यह पूरा क्षेत्र सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून यानी की अफस्पा के अंतर्गत आता है। और उसके बाद भीड़ ने बर्बरता की हदों को पार करते हुए पहले तो सेना के वाहनों को भारी नुकसान पहुंचाया गया फिर सेना के वाहनों पर आग लगाई गई और फिर हद पार करते हुए एक जूनियर अफसर को अपने कब्जे में ले लिया और उन्हें घसीटते हुए ले जा रहे थे और उनकी हत्या करने के लिए तैयार हो गये थे उस समय वहां आर्मी कैंप का नेत्रित्व कर रहे थे 10 गढ़वाल रायफल्स के मेजर आदित्य कुमार उन्होंने देखा कि जब पत्थरबाज भीड़ जूनियर अधिकारी की हत्या पर आमदा है तो आत्मरक्षा के लिए भीड़ पर फाइरिंग करने की इजाजत दे दी और इस दौरान वहां 2 नागरिकों की मौत हो गयी और पत्थरबाज भीड़ वहां से भाग गयी।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती का कहना था कि पत्थर फेंकने वाले लोग निर्दोष थे। और मुख्यमंत्री ने मेजर आदित्य कुमार पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश पुलिस को दे दिया जिसके बाद राज्य पुलिस ने मनमाने ढंग से मेजर पर एफआईआर दर्ज कर दी थी। इस पूरे घटनाक्रम के बाद जम्भू कश्मीर की सरकार और पुलिस के खिलाफ पूरे देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं, लोग राज्य सरकार की इस कार्यवाही को मनमाना और गलत बता रहे हैं। और अब अपने मेजर बेटे आदित्य कुमार के बचाव में लेफ्टिनेंट कर्नल परमवीर सिंह ने एफआईआर को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी है और साथ ही कहा कि 10, गढ़वाल राइफल में तैनात उनका बेटा वहां अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा था और वो पूरा इलाका अफस्पा के अन्तर्गत आता है और मेजर आदित्य कुमार वहां केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के तहत ही काम कर रहे थे, पर इस पूरे घटनाक्रम के बाद राज्य में हालात और भी ज्यादा तनावपूर्ण हो चुके हैं।

इस पूरे घटानक्रम के बाद वैसे सवाल यह उठता है कि क्या भारतीय सेना को अपनी आत्मरक्षा करने का भी हक़ नहीं है और जिन पत्थरबाजों के गुटों पर पाकिस्तान से फंडिंग के आरोप हमेशा से लगते आ रहे  हैं, उन पत्थरबाजों के खिलाफ कार्यवाही करने पर  क्या देश आर्मी ऑफिसर पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए? वैसे देखा जाए तो अब सैनिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए दिशा निर्देश जारी होने चाहिए और दुबारा ऐसा होने पर सैन्य अफसर को प्रताड़ित करने की कोई हिम्मत ना कर सके, बल्कि एफआईआर तो इन पत्थरबाजों के खिलाफ होनी चाहिए जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं।

 


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