इस बार जब जून का माह चल रहा था तो पूरी देवभूमि में बहुत ही कम बारिश हुई थी इसके बाद जुलाई माह में भी अपेक्षा से काफी कम बारिश हुई जिसके बाद एक बार पूरे उत्तराखंड में सूखे जैसे हालत बनने लगे थे। लेकिन फिर अगस्त माह में हुई जोरदार बारिश से सभी अनुमान ध्वस्त हो गए थे और लगभग उतनी बारिश हो चुकी है जितनी एक मानसून सीजन में उम्मीद की जाती है। पर ये बारिश इस बार देवभूमि में अनेक समस्याएँ भी लेकर आयी है और कई लोगों को अपनी जिन्दगी से भी हाथ धोना पड़ा है और कई लोगों के घर भी इस दौरान स्वाहा हो चुके हैं।
मानसूनी बारिश से आई आपदा में प्रदेश में इस बार अब तक 59 लोगों की मौत हो चुकी है। 55 लोग घायल हुए और 12 लोग अभी भी लापता बताये जा रहे हैं। 323 पशु हानि और 134 भवनों को आंशिक और 115 को पूर्ण क्षति पहुंची हैं। इससे प्रदेश में अब तक कुल 170 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। यह जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तरकाशी में आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के बाद पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी जिले में आई आपदा से 70 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
इस बार सबसे ज्यादा नुकसान उत्तरकाशी जिले को हुआ है जहाँ अतिवृष्टि से मोरी तहसील सर्वाधिक प्रभावित है। 52 गांव इसकी जद में आएं है, जिसमें 15 लोगों की मौत हुई है। जबकि छह लापता और आठ घायल हैं। वहीं, 115 भवन आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। आराकोट क्षेत्र में प्रारंभिक अनुमान के अनुसार 130 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मोरी ब्लॉक के आराकोट क्षेत्र में आई भीषण आपदा से जान माल के नुकसान के साथ ही आधा दर्जन से अधिक विद्यालय भवन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे करीब 300 से अधिक छात्रों की शिक्षा प्रभावित हो गई है।