इन दिनों चारधाम यात्रा अपने उफान पर है और इसमें भी खासकर केदारनाथ यात्रा की बात की जाए तो इस बार यात्रियों की संख्या के मामले में पुराने सारे रिकॉर्ड टूट चुके हैं। यही कारण है कि यात्रा शुरू हुए अभी तकरीबन 38 दिन ही हुए हैं और केदारनाथ में इस बार 6 लाख 50 हजार से अधिक यात्री आ चुके हैं। चारधाम सड़क मार्ग का काम भी पिछले काफी समय से तेजी से चल रहा है और तकरीबन काफी हद तक ये पूरा भी हो चुका है। पर इसी कड़ी में केदारघाटी में एक ऐसी भी जगह है जो आम जनता के साथ-साथ प्रशासन के लिए भी नासूर बनी हुई है।
यहाँ बात हो रही है रुद्रप्रयाग जिले के मुख्यालय रुद्रप्रयाग से 30 किमी आगे भीरी के नजदीक स्थित जगह बाँसवाड़ा की, जो दशकों से ही सड़क मार्ग के लिए एक संवेदनशील जगह रही है। अभी कुछ समय पहले की ही बात है जब यहाँ चारधाम रोड के निर्माण के दौरान 15 मजदूरों की मौत भी हो गयी थी। हर बार यहाँ बरसात के मौसम में तमाम तरह की दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। बस इस बार माजरा कुछ अलग है दरसल इस स्थान पर मंदाकिनी नदी का रुख मोड़कर नदी के ही 200 मीटर हिस्से में बनाए गए अस्थायी मार्ग से रोजाना तीन से चार हजार वाहनों की आवाजाही करवाई जा रही है। पर बड़ी समस्या ये है कि बरसात से पूर्व इस अस्थायी मार्ग से आवाजाही बंद कर मुख्य हाइवे से वाहनों की आवाजाही होनी थी। जबकि, स्थिति यह है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही बर्फ पिघलने से मंदाकिनी नदी का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है। इससे जरा-सी चूक किसी बड़ी अनहोनी का सबब बन सकती है।
ऐसे में यदि बरसात से पूर्व हाइवे की कटिंग का कार्य पूर्ण नहीं हुआ तो यहां पर आवाजाही की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। वहीं, बांसवाड़ा में मुख्य हाइवे पर पहाड़ी के 150 मीटर हिस्से में भी कटिंग का कार्य चल रहा है। यह स्थान स्लाइडिंग जोन के साथ संवेदनशील भी है। यहां पहाड़ी से लगातार पत्थर गिरने का खतरा बना रहता है और पूर्व में कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। इसी को देखते हुए यहां पर कटिंग का कार्य जल्द से जल्द पूरा करने के लिए दूसरा वैकल्पिक मोटर मार्ग बनाया गया था। एनएच अधिशासी के मुताबिक बांसवाड़ा में कटिंग का कार्य जल्द से जल्द पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में जेसीबी व भारी मशीनें लगाई गई हैं। तय समय पर इससे वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी जाएगी।