कोरोना संक्रमण के बेकाबू होते हालातों के कारण श्मशान घाट पर दाह संस्कार के लिए लाए जाने वाले शवों की संख्या लगातार बढ़ने लगी है। हाल यह है कि शवों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को कई घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। हल्द्वानी के मुक्तिधाम में मंगलवार को दिन भर शव जलते रहे। देर रात हालत यह हो गई कि लोगों ने मुक्तिधाम को जाने वाली सड़क पर ही शव जलाना शुरू कर दिया। धाम के गेट से लेकर टिन शेड तक पांच शव जलते रहे। मुक्तिधाम में अव्यवस्थाओं का आलम है। स्थानीय लोगों ने बताया कि मंगलवार को एक एक एंबुलेंस पहुंची और चालक शव को गेट पर उतारकर चला गया।
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आधे घंटे बाद परिजन पहुंचे और उन्होंने शव उठाकर अपने हाथ से चिता लगाई और दाह संस्कार किया। पार्षद महेश चंद का कहना है कि मुक्तिधाम में सफाई और चिताओं की राख उठाने का काम समिति करती है। मंगलवार को समिति के कर्मचारी यहां से चले गए। इस कारण स्थिति और भयावह हो गई है। क्रियाक्रम के लिए भी पंडित नहीं मिल रहे हैं। लोगों को अपने हाथ से ही क्रियाक्रम करना पड़ रहा है। लकड़ी लगाने से लेकर चिता ढोने तक का काम परिवार के लोग ही कर रहे हैं। वहीं मुक्तिधाम में कोविड संक्रमितों के शवों को जलाने के विरोध में मंगलवार को स्थानीय लोगों ने हंगामा कर दिया।
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उनका आरोप था कि लोग शव जलाने के बाद बायो मेडिकल वेस्ट खुले में फेंक दे रहे हैं। धुएं से स्थानीय लोग परेशान हो गए हैं। आरोप है कि कुछ लोगों ने अपनी छतों से अंतिम संस्कार करने आए लोगों पर पथराव कर दिया। वहां लोगों ने टिन शेड के नीचे छिपकर खुद को बचाया। हालांकि पुलिस पथराव से इंकार कर रही है। आबादी के बीच शवों के जलाने से लोगों का जीना दूभर हो गया है। एंबुलेंस चालक शव जलाने के लिए 10 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं। कोरोना का डर ऐसा है कि श्मशान घाटों में मानवता भी जवाब दे जा रही है। शवों को उठाने के लिए घर से लेकर बाहर वाले तक तैयार नहीं है। मोटे पैसों में कुछ लोग ये काम करने को जरूर तैयार हो रहे हैं।