उत्तराखंड वो जगह जो हर किसी को अपनी और सदियों से आकर्षित करती आ रही है, यहाँ का शांत वातावरण, कल कल करती हुई नदियों की धुन, सुकून देने वाले पहाड़ और फिर यहाँ के जिंदादिल लोग ये वो चीजें हैं जिसकी वजह से हर कोई यहाँ आना चाहता है और यहीं का होकर रहना चाहता है। ऐसे ही एक कहानी के बारे में आज हम आपको यहाँ बता रहे हैं यहाँ बात हो रही है सात समंदर पार रशिया से आये हुए एक जोड़े की जिसने अपनी शादी के लिए देवभूमि के ऋषिकेश को चुना और जब इस जोड़े ने परमार्थ निकेतन आश्रम में शादी की तो इन्हें देखने के लिए वहां लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
परमार्थ निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि ने बताया कि इस प्रेमी जोड़े को भारतीय संस्कृति और संस्कार यहाँ खींच लाये जिसके कारण इस जोड़े ने रशियन संस्कृति के साथ साथ हिन्दू संस्कृति को भी अपने में आत्मसात कर लिया है इस दौरान प्रेमी जोड़े ने एक ही वरमाला एक दूसरे के गले में डाली हुई थी जिससे उन्हों दो शरीर एक प्राण की तरह जीने का संदेश दिया। इसके बाद स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि ने वर रुस्लान और वधु वेलोवाइवा को सुख, शांति व समृद्ध जीवन का आशीर्वाद दिया और फिर उन्हें एक रुद्राक्ष का पौधा भी भेंट किया। यहाँ जोड़ा रशिया के सोची शहर से से आया हुआ था और ऋषिकेश आकर हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार उन्होंने सातों जनम साथ रहने की कसमें खायी।