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कुंवर प्रणव चैंपियन एक नाम सैकड़ों विवाद, हर बार मजबूत पकड़ डालती रही काले कामों पर परदा

इस समय पूरे भारत में जिस व्यक्ति की सबसे अधिक चर्चा हो रही है वो हैं हरिद्वार के खानपुर से विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन। वो नाम जो राजनीति में जुड़ने के दिन से ही हमेशा से विवादों में रहा है। हाल ही में सोशल मीडिया पर जारी हुआ उनका विडियो उनके बार में जानने और बताने के लिए काफी है। उस विडियो में वो जिस भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं और जिस तरह से दारु पीकर खुलेआम बंदूकों की नुमाईश कर रहे हैं यही उनके बारे में बताने के लिए काफी है।

कोई भी साधारण इंसान जो इन विधायक साहब को जानता न हो और उसे ये विडियो दिखा दिया जाए तो वो खुद ही बोल देगा कि ये व्यक्ति जरुर कोई बहुत बड़ा बदमाश और गुंडा होगा। ऐसा नहीं है कि ये कोई पहला मामला है जब कुंवर प्रणव चैंपियन का इस तरह से विडियो सामने आया हो इससे पहले भी उनका एक पत्रकार के साथ मारपीट का विडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद से उन्हें तीन महीने के लिए बीजेपी से निष्कासित भी किया जा चुका है।

इससे पहले साल 2003 में चैंपियन पर लक्सर में मगरमच्छ के शिकार के आरोप लगे थे। इस पर वन विभाग ने मुकदमा भी दर्ज किया, हालांकि इस पर आगे आजतक भी कोई कार्रवाई नहीं हो पायी है। 2009 में चैंपियन पर मंगलौर में हवाई फायरिंग का मामला दर्ज हुआ लेकिन कोई कारवाई नहीं हुई। वर्ष 2011 में चैंपियन पर तत्कालीन विधायक व मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के समर्थकों ने मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

साल 2015 में कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के देहरादून में यमुना कॉलोनी स्थित आवास पर एक पार्टी के दौरान उन पर हवाई फायरिंग के आरोप लगे थे। इसमें कांग्रेस के दो कार्यकर्ता घायल हो गए थे। तब प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने के कारण यह मामला भी दब गया था। 2016 में जब कांग्रेस सरकार में उठापठक चली तो चैंपियन बागी विधायकों के साथ रहे। साल 2017 के चुनावों में भाजपा ने चैंपियन को टिकट दिया। चुनाव जीतने के बाद वह फिर विवादों में रहे। उन पर नामांकन के दौरान हथियारबंद समर्थकों को ले जाने के आरोप लगे।

बात इस साल कि शुरुआत की भी है जब भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल से छिड़ी जुबानी जंग ने तो मर्यादाओं की सीमाएं लांघ दी। इस मामले में जांच समिति अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को सौंप चुकी है, लेकिन अभी तक इसपर भी कोई फैसला नहीं हुआ है। विधायक के रूप में अपने लगभग 17 साल के राजनैतिक कैरियर में चैंपियन कांग्रेस और भाजपा, दोनों दलों में रह चुके हैं। कांग्रेस में रहते हुए भी वह अकसर अपने कारनामों के कारण पार्टी के लिए परेशानी का सबब बनते रहे और वही हाल अब भाजपा में भी है।


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