Home उत्तराखंड आस्था हो तो ऐशी: छह साल से दिव्यांग पत्नी को व्हील चेयर...

आस्था हो तो ऐशी: छह साल से दिव्यांग पत्नी को व्हील चेयर से करा रहे बद्रीनाथ धाम के दर्शन

भारत को अगर तीर्थों का देश कहा जाए, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. जहां तक उत्तर भारत की बात है, यहां के दो तीर्थस्थल बद्रीनाथ और केदारनाथ देशवासियों की आस्था के प्रमुख केंद्र हैं. प्रकृति की गोद में बसा देवभूमि उत्तराखंड बहुत ही मनोरम प्रदेश है. यहां बहुसंख्‍य धार्मिक स्‍थल हैं, जिनमें बद्रीनाथ और केदारनाथ की बड़ी महिमा है. जीवन एक यात्रा की तरह है। कभी यह सहज लगती है तो कभी दुर्गम। जब मन में उत्साह और विश्वास की ऊर्जा जागती है तो जीवन यात्रा कितनी भी दुर्गम हो, उसे हम खुशी-खुशी पूरा कर लेते हैं।  कुछ इसी तरह दिल्ली के ज्वालानगर निवासी शिवानंद शर्मा दिव्यांग पत्नी मालती देवी के साथ पहली बार वर्ष 2013 में बदरीनाथ धाम की यात्रा पर आए थे। यात्रा से लौटने के बाद जब शिवानंद को मालूम पड़ा कि 15-16 जून को आई आपदा में सब-कुछ तबाह हो गया है तो इस सूचना ने उन्हें विचलित कर दिया। तब उन्होंने फैसला किया कि दोबारा बदरीनाथ धाम जरूर जाएंगे। फिर तो ऐसी लगन लगी कि कपाट खुलने के मौके पर पत्नी को व्हील चेयर बैठाकर पर हर साल भगवान बदरी विशाल के दर्शनों को पहुंच जाते हैं।

खास बात यह कि इस पैदल यात्रा में उनका श्वान भी साथ देता है। 38 वर्षीय शिवानंद शर्मा ने वर्ष 2014 में दोबारा बदरीनाथ धाम आने का मन तो बना लिया। लेकिन, समस्या यह थी कि दोनों पैरों से दिव्यांग पत्नी के साथ यात्रा कैसे की जाए। तब उन्होंने निर्णय लिया कि पत्नी को व्हील चेयर पर बदरीनाथ धाम ले जाएंगे। क्योंकि, मार्ग में किसी स्थान पर राह अवरुद्ध होने की दशा में व्हील चेयर को धकेलकर आगे ले जाना आसान होता है। इसके बाद शिवानंद सपत्नीक भगवान बदरी विशाल के कपाटोद्घाटन समारोह में शामिल हुए। बदरीनाथ आने पर उन्हें पता चला कि आपदा में यहां उतनी तबाही नहीं हुई, जितना कि प्रचारित किया गया। शिवानंद शर्मा के बच्चे नहीं हैं, लेकिन एक श्वान उनके परिवार का हिस्सा है। सो, जब उन्होंने दिव्यांग पत्नी को व्हील चेयर पर बैठाकर यात्रा शुरू की तो श्वान भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ा। गेरुवा वस्त्रधारी इस दंपती की रास्ते में लोगों ने आर्थिक मदद भी की। शिवानंद बताते हैं कि यात्रा के दौरान स्थान-स्थान पर लोगों ने उन्हें शरण दी। जिससे यह यात्रा उनके लिए अविस्मरणीय बन गई। अब तो प्रतिवर्ष कपाट खुलने के उत्सव में शामिल होना उनके जीवन का हिस्सा बन गया है।

इस बार यह दंपती एक मार्च को दिल्ली से चला था और 20 मार्च को हरिद्वार पहुंचा। 21 मार्च को हरिद्वार से प्रस्थान किया और अब लामबगड़ पहुंच चुका है। बदरीनाथ धाम के कपाट अभी 30 अप्रैल को खुलने हैं, इसलिए दंपती ने हनुमानचट्टी में स्थित हनुमान मंदिर में शरण ली हुई है। यहां से आगे की यात्रा दंपती 25 अप्रैल को शुरू करेगा और 27 अप्रैल को बदरीनाथ धाम पहुंच जाएगा। दिल्ली के ज्वालानगर निवासी शिवानंद शर्मा दिव्यांग पत्नी मालती देवी व्हील चेयर पर बैठाकर हर साल भगवान बदरी विशाल के दर्शनों को पहुंच जाते हैं। ऐसा वह छह साल से कर रहे हैं।