आज से पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि देवभूमि उत्तराखंड में भी मणिपुर और असम में उत्पादित होने वाला काला धान (चाको हाओ) उगाया जा सकता है। लेकिन राज्य के प्रगतिशील काश्तकार नरेंद्र सिंह मेहरा को गौलापार में काला धान उगाने में सफलता हाथ लगी है। नरेंद्र मेहरा ने छत्तीसगढ़ से 150 ग्राम बीज मंगाकर पहली बार उत्तराखंड में इसकी खेती करने का निश्चय किया था।
उन्होंने बताया कि आज बाजार में जैविक विधि से तैयार ब्लैक राइस की कीमत छह सौ रुपये प्रति किलो है जबकि इसके बीज की कीमत 1500 प्रति किलो है। औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण काले चावल की बाजार में भी खूब मांग है। नरेंद्र मेहरा का ने इसके साथ यह भी कहा कि ब्लैक राइस का प्रति एकड़ 18 से 20 क्विंटल तक उत्पादन किया जा सकता है। इसकी फसल भी केवल 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है और सिंचाई के लिए भी ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है।
काले चांवल के फायदे–
- काले चावल एंटी-ऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर होते हैं और एंटी-ऑक्सीडेंट्स हमारे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होते हैं। इससे ये बॉडी को डिटॉक्स करते हैं जिससे कई तरह की बीमारियां और सेहत संबंधी परेशानियां दूर रहती हैं।
- अगर आपको शारीरिक कमजोरी का एहसास होता है तो भी काले चावल खाना आपके लिए फायदेमंद होगा। इसके अलावा अल्जाइमर, मधुमेह और यहां तक कि कैंसर से बचाव के लिए भी काले चावल खाना फायदेमंद होता है।
- काले चावल में किसी भी दूसरे चावल की तुलना में सबसे अधिक प्रोटीन पाया जाता है। इसके अलावा ये फाइबर के मामले में भी सबसे आगे है और इसमें आयरन भी पाया जाता है।
- दिल से जुड़ी बीमारी के लिए भी काले चावल बेहतरीन होते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि काले चावल में एंथोसाइनिन पाया जाता है। यह एक ऐसा तत्व हे जो दिल का दौरा पड़ने की आशंका को कम करता है।