अटल आयुष्मान योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक रही है, इस योजना से पूरे भारत में लाखों जरुरतमंदों को मदद भी मिली है। पर कुछ खुरापाती लोग ऐसे भी होते हैं जो हर योजना का निजी फायदा उठाने के लिए तरह-तरह की हथकंडे अपनाने लगते हैं। इसी तरह के मामले का पर्दाफाश उत्तराखंड में हुआ है। यह पूरा वाकया आस्था हॉस्पिटल काशीपुर से जुड़ा हुआ है। अस्पताल का मालिक सरकारी अस्पताल में संविदा चिकित्सक है, जिसने फर्जी तरीके से 57 मरीजों को अपने अस्पताल में रेफर कर इलाज करना दर्शाया है। एक ही परिवार के कई सदस्यों का इलाज करना बताकर कई पैकेजों के तहत लाखों रुपये अटल आयुष्मान योजना से हड़प लिए हैं।
राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अधीन क्रियान्वयन समिति एजेंसी ने योजना के सीईओ से गत दो अप्रैल को शिकायत की थी। शिकायत के अनुसार इस अस्पताल में एक ही तिथि में एक परिवार के तीन सदस्यों को भर्ती किया गया है। फर्जीवाड़े के संदेह में जब इस अस्पताल के बारे में जानकारी पता की गई तो एक के बाद एक बड़े खुलासे हुए। पता चला कि अस्पताल गत वर्ष 18 दिसंबर 2018 सूचीबद्ध हुआ था। इसके मालिक डॉ. राजीव कुमार गुप्ता ने खुद को इस अस्पताल का एकमात्र चिकित्सक बताया था। जांच में पता चला कि वह एलडी भट्ट राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय काशीपुर में संविदा के पद पर पूर्णकालिक चिकित्सक है। सूचीबद्ध होने की तिथि से छह अप्रैल 2019 तक उसने खुद ही 17 मरीजों को अपने अस्पताल में रेफर भी किया था।
गत दो अप्रैल को शिकायत यह थी कि एक ही परिवार की तीन महिलाओं ऊषा, आरती व पूजा को रेफर किया गया था। इन्हें 30 मार्च 2018 को एलडी भट्ट एलोपैथिक चिकित्सालय से आस्था हॉस्पिटल में रेफर किया गया था। सूचीबद्ध होने की तिथि से छह अप्रैल तक आस्था अस्पताल में कुल 57 मरीजों को रेफर किया गया। इनमें से 21 मरीज नौ परिवारों से संबंधित हैं। जांच में पाया गया है कि डॉ. राजीव गुप्ता ने जमकर फर्जीवाड़ा किया है। उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा (ऊधमसिंह नगर) की मुहर लगाकर भी मरीज रेफर किए हैं। इसके साथ ही योजना के सीईओ युगल किशोर पंत ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है जो आने वाले 15 दिन में रिपोर्ट सोंप देगी।