उत्तराखंड में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना 2020 की शुरुआत की गयी थी जिसके द्वारा प्रवासी लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने की कोशिश की जा रही है। लॉकडाउन की वजह से अन्य दूसरे राज्यों में फंसे हुए लाखों लोग अपने राज्य में वापस आ गए थे और जिसके बाद उन्हें यहीं उत्तराखंड में ही रखने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गयी थी। इस योजना के अंतर्गत उत्तराखंड में वापस लोटने वालों को खुद का उद्योग आरम्भ करने के लिए सरकार द्वारा लोन मुहैया कराया जाना था। यह लोन सरकार द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और अन्य शैडयूल्ड बैंकों के माध्यम से मिलने वाला है।
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लेकिन अब जो रिपोर्ट सामने आ रही है उसे देखकर तो यही लगता है कि स्वरोजगार का यह सपना पूरा होने वाला नहीं है। क्यूंकि जिन योजनाओं को देखकर प्रवासियों की उम्मीदें बड़ी थी उन पर बैंकों के नियम-कायदे भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। अभी तक इन योजनाओं से मात्र 15% लोगों को ही कर्ज मिल पाया है। एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक उत्तराखंड में करीब 3917 लोगों ने स्वरोजगार शुरू करने के लिए बैंकों में अपना आवेदन किया है। लेकिन अब तक सिर्फ 588 लोगों को ही बैंकों से इसके लिए मंजूरी मिल पायी है।
इस योजना के अंतर्गत विनिर्माण में 25 लाख रूपये और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रूपये तक की परियोजनाओं पर ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। एमएसएमई नीति के अनुसार वर्गीकृत श्रेणी ए में मार्जिन मनी की अधिकतम सीमा कुल परियोजना लागत का 25 प्रतिशत, श्रेणी बी व बी़ में 20 प्रतिशत और सी व डी श्रेणी में कुल परियोजना लागत का 15 प्रतिशत तक मार्जिन मनी के रूप में देय होगी। लेकिन अब जिस तरह से बैंकों की आनाकानी इसमें आड़े आ रही है उससे लगता नहीं है कि स्वरोजगार का यह सपना पूरा होने वाला है।