उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली के जन्म दिवस पर हर साल 8 अगस्त को शिक्षा, समाज सेवा, खेल समेत विभिन्न क्षेत्रों बेहतर काम करने वाली महिलाओं एवं युवतियों को सम्मानित किया जाता रहा है। इस बार रूद्रप्रयाग जनपद की बबीता रावत को राज्य स्तरीय तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने तीलू रौतेली पुरस्कार प्राप्त करने वाली सभी महिलाओं एवं अपनी क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाली आंगनबाडी कार्यकत्रियों को वीसी के माध्यम से संबोधित करते हुए शुभकामनांए दी। तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित होने वाली रूद्रप्रयाग की बेटी बबीता रावत ने जिद और हौंसलो से पहाड़ की बंजर भूमि को आबाद कर स्वरोजगार की राह दिखाई है।
अगस्तयमुनि के गॉव उमरौला सौड़ निवासी बबीता रावत जिसने गॉव में रहकर कामयाबी की एक नई इबारत लिखी है, जिसके लिए हर किसी को सौ बार सोचना पड़ता है। अगस्तयमुनि में 2016 में बीए कर रही थी तो उन्होने देखा कि गॉव में लोग बहुत मेहनत तो करते हैं, लेकिन पांरपरिक खेती करने का जो तरीका है उसका मुनाफा उन्हे नहीं मिल पाता है। बबीता रावत बताती है कि अक्सर हमारे खेतो में पहले भी सब्जी का उत्पादन होता था जितनी हमें आवश्यकता होती उतना हम घर मे उपयोग कर लेते और बाकि इधर उधर बॉट लेते। लेकिन जब मैंने बाजार में देखा कि जिस सब्जी को हम मुफत में बॉट लेते हैं, और उसकी अहमियत नहीं समझते उसका व्यवसाय बाजार में लोग दुकान खोलकर बैठे हुए होते हैं। उसी समय सब्जी की पांरपरिक तरीका के साथ जरूरत के हिसाब से बदलाव कर सब्जी उत्पादन व्यवसाय करने की ठानी।
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2018 में पॉलीहाउस बनाया और सब्जी उत्पादन का काम शुरू किया। बबीता का कहना है कि जब मैनें यह काम शुरू किया तो शुरू में परेशानी जरूर हुई, सबसे ज्यादा चुनौती हल लगाने की थी और यह करने के लिए भी मैं खुद ही खेतों में जुट गयी। मशरूम के साथ मौसम की सारी सब्जी जो ऑर्गेनिक हैं, उन्हे उगाना शुरू किया। बबीता बताती हैं कि आज 5-6 नाली जमीन में सब्जी का उत्पादन हो रहा है, महीने की औसतन आमदनी लगभग 15-20 हजार हो जाती है, साथ ही मशरूम से भी आर्थिक सहायता मिल जाती है। बबीता कहती हैं कि ग्रामीणों क्षेत्रों में अपार संभावनायें हैं, बस जरूरत है तो मेहनत लगन और धैर्य की। मैनें यह अनुभव किया है कि यदि हम किसी कार्य को धेय बनाकर करना शुरू करें तो सफलता अवश्य मिलती है।
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