यूरोपीय देशों में उगाई जाने वाली लाल भिंडी (काशी लालिमा) अब देवभूमि के लोगों को भी खाने को मिलेगी। देहरादून क्षेत्र के फार्मर अनिलदीप सिंह महाल ने अपने फार्म हाउस पर लाल भिंडी को उगाया है। अब वह लाल भिंडी का बीज तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बेटी की मदद से उन्होंने इसका बीज ऑनलाइन मंगाया था। तिगड़ीफार्म (बरारफार्म) के मालिक अनिलदीप सिंह महाल ने एमए और एलएलबी की शिक्षा ली है। खेती वह शौकिया तौर पर करते हैं। बताया कि दिल्ली की खान मार्केट में उन्होंने पहली बार लाल भिंडी देखी। इसके बाद उनकी बेटी गुरवेना ने इस किस्म का नाम काशी लालिमा पता लगाया।
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अनिलदीप ने इसका बीज भी एक ऑनलाइन साइट से खरीदा। अभी परीक्षण के रूप में एक बीघा भूमि पर लाल भिंडी उगाई गई, जिसकी बेहतर पैदावार हुई है। अब वह इसका बीज तैयार करने में जुटे हैं। बताया कि पंतनगर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने उनसे संपर्क किया था और कृषि विभाग की टीम भी दौरे के लिए आने वाली है। सिंह ने बताया कि वह अपने फार्म हाउस पर काला, बैंगनी और नीला गेहूं भी उगा चुके हैं। भिंडी की लंबाई 11 से 14 सेमी और व्यास 1.5 से 1.6 सेमी होती है। प्रति हेक्टेयर भूमि में करीब 130 से 140 क्विंटल तक इसकी पैदावार है।
काशी लालिमा भिंडी के ये हैं फायदे
-एंटी ऑक्सीडेंट, आयरन और कैल्शियम समेत अन्य पोषक तत्वों से भरपूर।
-गर्भ में पलने वाले शिशु के मस्तिष्क का तेजी से विकास होता है और यह महिलाओं में फोलिक एसिड की कमी को पूरा करती है।
-शुगर और दिल के मरीजों के लिए भी लाभकारी है।