बात है पिछले साल 3 अप्रैल की जब बीजेपी की तरफ से उत्तराखंड की ओर से राज्यसभा में अनिल बलूनी को भेजा गया था, उनकी छवि साफ़ सुथरी तो थी ही और साथ ही वो बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी भी थे। इसके साथ ही वो उत्तराखंड की तरफ से सबसे कम उम्र में राज्यसभा पहुँचने वाले सांसद भी थे और अब पिछले एक साल में जो कार्य उन्होंने किये हैं उससे उनकी छवि एक जननेता की भी बनती जा रही है। इन 12 महीनों में उन्होंने 12 ऐसे काम कर दिखाए, जो नामुमकिन से माने जा रहे थे। बलूनी के एक दर्जन कार्यों में कुछ ऐसी अनूठी पहल हैं, जो पलायन, पिछड़ेपन और बुनियादी समस्याओं का सामना कर रहे पहाड़ के लिए मरहम और जनप्रतिनिधियों के लिए सबक सरीखे हैं।
अपने एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में बलूनी ने बताया कि उन्होंने नैनी-दून एक्सप्रेस का रोजाना काठगोदाम से देहरादून और देहरादून से काठगोदाम तक संचालन, राज्य में केंद्रीय आपदा राहत बल की पृथक बटालियन का आवंटन, कोटद्वार व उत्तरकाशी अस्पतालों में आईसीयू वेंटीलेटर की स्थापना, पौड़ी जिले कि निर्जन गांव बौर को गोद लेना, आर्मी व पैरामिलिट्री के अस्पतालों में आम नागरिकों को उपचार की सुविधा, आईटीबीपी के अस्पतालों में उपचार प्रारंभ, राज्य के विशिष्ट बीटीसी अध्यापकों की केंद्र में पैरवी, मसूरी व नैनीताल की पेयजल योजनाओं की स्वीकृति, तीलू रौतेली व माधो सिंह भंडारी के स्मारकों का पुरातत्व विभाग के जरिये संरक्षण के लिए प्रयास, टनकपुर-बागेश्वर से गैरसैंण-कर्णप्रयाग रेललाइन के सर्वे के लिए धन स्वीकृत कराना, राज्य के लिए पृथक दूरदर्शन चैनल प्रारंभ करवाना जैसे काम किए गए हैं।
सांसद अनिल बलूनी के द्वारा किये गए एक दर्जन कार्यों में कुछ ऐसी अनूठी पहल हैं, जो पलायन, पिछड़ेपन और बुनियादी समस्याओं का सामना कर रहे पहाड़ के लिए मरहम और जनप्रतिनिधियों के लिए सबक सरीखे हैं। अपने इन कार्यों की वजह से ही वे सक्रिय, सतर्क और संवेदनशील सांसद की छवि अब तक बना चुके हैं। अब सभी उत्तराखंडियों को यह उम्मीद है कि राज्यवासियों की भावनाओं के अनुरूप उत्तराखंड के विकास के लिए वह अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं आने देंगे और इसी तरह प्रदेश के विकास में लगे रहेंगे।