उत्तराखंड सरकार प्रदेश में हर घर को नल से जल देने की योजना को धरातल पर उतारने जा रही है और यदि यह योजना वह धरातल पर उतारने में कामयाब रही तो पहाड़ में लोगों को कई किमी दूर जाकर जल लेने की परेशानी से छुटकारा मिलना तय है। केंद्र सरकार की मुहिम ‘हर घर को नल से जल’ को उत्तराखंड में धरातल पर उतारने के लिए 6600 करोड़ रुपये की जरूरत है। इसे देखते हुए वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए हैं। एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआइआइबी), राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (एआइआइबी) समेत अन्य संस्थानों में दस्तक दी गई है।
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग दिसंबर महीने तक भूमि अधिग्रहण एवं सर्वेक्षण का प्रस्ताव शासन को सौंप देगा। परियोजना को 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। विभाग का आकलन है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 12.50 लाख परिवार ऐसे परिवार हैं जो चाल व खाल तथा सार्वजनिक नलों से पानी की जरूरत पूरी करते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें घर से दूर जाकर पानी ढोना पड़ता है। अब इंतजार है तो ‘जल जीवन मिशन’ के लिए केंद्र की गाइडलाइन का। फिर इसके अनुरूप सरकार आगे बढ़ेगी।
आपको बता दें कई गांवों में सालों से पहले बनी पेयजल योजनाएं या तो बंद पड़ी हैं या फिर आपदा समेत अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त हैं। यही नहीं, ग्राम पंचायतों के स्वामित्व वाली योजनाओं के रखरखाव को बजट सबसे बड़ा रोड़ा है। ऐसे में हर घर को पुरानी योजनाओं की मरम्मत और नई पेयजल योजनाओं के जरिए पेयजल कनेक्शन मुहैया कराए जाने हैं। अब इस परियोजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर पानी देने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नई पेयजल लाइनों को बिछाने, नए ट्यूबवेल, पानी के टैंक, तालाबों का निर्माण होना है।