Home देश जानिए पद्मश्री से सम्मानित तुलसी गौड़ा की कहानी, क्यों कहा जाता है...

जानिए पद्मश्री से सम्मानित तुलसी गौड़ा की कहानी, क्यों कहा जाता है इन्हें “जंगल की इनसाइक्लोपीडिया”?

पदम श्री से सम्मानित ‘जंगल की इनसाइक्लोपीडिया’के नाम से मशहूर #तुलसीगौड़ा की कहानी बताती है की बगैर शिक्षा और संसाधन के भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता हैं।

पदम श्री से सम्मानित अनेक विभूतियों में सबसे ज्यादा चर्चा तुलसी गौड़ा की हो रही है। बगैर चप्पल और एक ही कपड़े को अपने बदन में लिपटे जंगल की जीता जागता इनसाइक्लोपीडिया जब राष्ट्रपति के समक्ष पुरस्कार के लिए उपस्थित हुई तो इनकी सादगी और जीवट ताने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। तुलसी गौड़ा के अगर जीवन संघर्षों को अनुकरण किया जाए तो बगैर शिक्षा और संसाधन के भी दुनिया में आमूलचूल परिवर्तन लाए जा सकते हैं।

दरअसल तुलसी का जन्म कर्नाटक के हलक्की जनजाति के एक परिवार में हुआ था…बचपन में उनके पिता चल बसे थे और उन्होंने छोटी उम्र से मां और बहनों के साथ काम करना शुरू कर दिया था…इसकी वजह से वे कभी स्कूल नहीं जा पाईं और पढ़ना-लिखना नहीं सीख पाईं… 11 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई पर उनके पति भी ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहे…।

अपनी जिंदगी के दुख और अकेलेपन को दूर करने के लिए ही तुलसी ने पेड़-पौधों का ख्याल रखना शुरू किया… #वनस्पति संरक्षण में उनकी दिलचस्पी बढ़ी और वे राज्य के वनीकरण योजना में कार्यकर्ता के तौर पर शामिल हो गईं… साल 2006 में उन्हें वन विभाग में #वृक्षारोपक की नौकरी मिली और चौदह साल के कार्यकाल के बाद वे आज सेवानिवृत्त हैं… इस दौरान उन्होंने अनगिनत पेड़ लगाए हैं और जैविक विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है…।

72 साल की तुलसी गिनकर नहीं बता सकती कि पूरी जिंदगी में उन्होंने कितने पेड़ लगाए… 40 हजार का अंदाजा लगाने वाली तुलसी ने करीब एक लाख से भी ज्यादा पेड़ लगाए हैं…. अपनी पूरी जिंदगी पेड़ों को समर्पित करने वाली तुलसी को पेड़-पौधों की गजब की जानकारी है… जिसकी वजह से उन्हें जंगल का #इनसाइक्लोपीडिया भी कहा जाता है…।

स्कूल में शिक्षित न होने के बावजूद वनों और पेड़-पौधों पर तुलसी का ज्ञान किसी #पर्यावरणविद या वैज्ञानिक से कम नहीं है… उन्हें हर तरह के पौधों के फायदे के बारे में पता है… किस पौधे को कितना पानी देना है, किस तरह की मिट्टी में कौन-से पेड़-पौधे उगते हैं, यह सब उनकी उंगलियों पर है….।

आज भी तुलसी पेड़ों को लगाने के काम में सक्रिय हैं.. साथ ही वो बच्चों को सिखाती हैं कि पेड़ हमारे जीवन के लिए कितना जरूरी है.. उनके बिना ये धरती रहने लायक नहीं रह जाएगी…।
साभार:नंदकिशोर प्रजापति कानवन


LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here