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पुलवामा हमले को तीन सालः जब भारत माँ ने एक साथ खोये 44 बेटे, इस तरह लिया था बदला

पाकिस्तान की नापाक करतूत के कारण आज ही के दिन ठीक तीन साल पहले भारत माता ने अपने 44 लालों को खो दिया था। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की आज तीसरी बरसी है और देश शहीद जवानों को सलाम कर रहा है. सीआरपीएफ ने भी अपने जवानों को याद किया है और लिखा है ‘हमने भूला नहीं, हमने छोड़ा नहीं’। 14 फरवरी को जब हमला हुआ था, तब भी सीआरपीएफ ने कुछ ऐसा ही ट्वीट किया था. धमाके के बाद हवा में आग के अंगारे नजर आए। चारों तरफ साथी जवानों के चीथड़े बिखरे हुए थे।

सीआरपीएफ का यह काफिला उस दिन सुबह साढ़े तीन बजे जम्मू से चला था। दोपहर 3 बजे के आस पास पुलवामा के लेथपोरा में आत्मघाती हमला हो गया। काफिले में शामिल अधिकतर जवान अपनी छुट्टियां काट कर ड्यूटी के लिए श्रीनगर लौट रहे थे। काफिले में कुल 78 गाड़ियां थीं। उन्हीं में से एक गाड़ी को आत्मघाती हमलावर ने अपनी गाड़ी से उड़ा दिया था। इस हमले की खबर सुनने के बाद पूरे देशभर में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी। आम से लेकर ख़ास तक हर कोई इस कायराना हरकत का बदला लेने का दबाव बना रहा था।

इसके बाद पुलवामा का हमला करने वाले आतंकियों को सेना ने तुरंत मारना शुरू कर दिया था। 100 घंटे के अंदर पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड और जैश के स्थानीय आतंकी कामरान को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद कुछ ही दिन बाद 27 फरवरी को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी, जिसमें सैकड़ों आतंकियों को मार गिराया गया था। इसके अलावा उन आतंकियों का भी खात्मा कर दिया गया, जिनका नाम पुलवामा के आतंकी हमले से जुड़ा था। इनमें आदिल अहमद डार, मुदसिर खान, कामरान और सज्जाद भट्ट जैसे नाम शामिल थे।


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