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उत्तराखंड: लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क का भारत ने किया था उद्घाटन, नेपाल दिखा रहा आंखें

उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के सीमांत धारचूला स्थित  घटियाबगड़ से लिपूपास तक 75 किलोमीटर सड़क का निर्माण पूरा हो गया है। उत्तराखंड में इस सड़क के बनने से देश की ताकत न सिर्फ सामरिक दृष्टि से मजबूत हुई है बल्कि कैलास मानसरोवर के यात्रियों को भी बड़ी राहत मिल गयी है। पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कैलाश मानसरोवर के लिए लिंक रोड का उद्घाटन भी कर दिया है। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवाने भी उपस्थित थे।

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अब उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख पर नेपाल ने अपनी नाराजगी जताई है और भारत को आँख दिखाने का काम किया है। नेपाल दावा पेश करता है कि यह सड़क निर्माण उसके इलाके में की गयी है। इसी दावे के तहत लिपुलेख में सड़क निर्माण को लेकर उसने विरोध दर्ज कराया। नेपाल ने सोमवार को सीमा विवाद को लेकर काठमांडू में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वाटरा को बुलाया और उन्हें राजनयिक संदेश भी दिया है। भारत ने भी प्रतिक्रिया में कहा कि सड़क पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में स्थित है।

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नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने सोमवार को भारतीय राजदूत क्वाटरा को समन किया और लिपुलेख की विवादित जमीन पर रोड लिंक बनाने को लेकर नाराजगी जाहिर की। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को बयान जारी कर भारत के लिपुलेख में रोडलिंक बनाने के कदम की आलोचना की थी। नेपाल ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत से विदेश सचिव स्तर की राजनयिक वार्ता की तारीख जल्द से जल्द तय करने के लिए भी कहा है। कालापानी को उत्तराखंड में दिखाए जाने को लेकर भी नेपाल ने विरोध जताया था और उस वक्त से ही सीमा विवाद के समाधान के लिए वार्ता करने पर जोर दे रहा है।

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