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क्या ये रास्ता हो सकता है भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए?

पिछले 15-20 दिनों से कोरोना वायरस को जितना में समझ पाया हूँ उसपर अपने विचार रख रहा हूँ। भारत में वायरस का पहला केस 30 जनवरी को सामने आया था जब वुहान में रहने वाले केरल के एक लड़की वापस भारत आयी थी। इसके बाद अगला मामला आगरा का है जब 26 फरवरी को इटली से आये लोगों के द्वारा भारत में यह वायरस घुसा।  संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्या उत्पन्न होती हैं। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैलते हैं। इन कणों में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं। संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणुयुक्त कण सांस के रास्ते आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। अगर आप किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो ये कण आपके शरीर में पहुंचते हैं।

वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखना शुरू होने में औसतन पाँच दिन लगते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ लोगों में इसके लक्षण बहुत बाद में भी देखने को मिल सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है। हालांकि कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि ये समय 24 दिनों तक का भी हो सकता है। अब तक के आंकड़ों के अनुसार संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल एक से दो फ़ीसदी हो सकती है। 6 फ़ीसदी लोग इस वायरस के कारण गंभीर रूप से बीमार हुए। इनमें फेफड़े फेल होना, सेप्टिक शॉक, ऑर्गन फेल होना और मौत का जोखिम था। 14 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के गंभीर लक्षण देखे गए। इनमें सांस लेने में दिक्क़त और जल्दी-जल्दी सांस लेने जैसी समस्या हुई। 80 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण देखे गए, जैसे बुखार और खांसी। कइयों में इसके कारण निमोनिया भी देखा गया है।

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बूढ़ों और पहले से ही सांस की बीमारी (अस्थमा) से परेशान लोगों, मधुमेह और हृदय रोग जैसी परेशानियों का सामना करने वालों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका अधिक होती है। वर्तमान में वायरस से बचने के लिए सभी जगह स्कूल, कॉलेज, जिम, स्वीमिंगपूल और सर्वजनिक सभाएं रद्द करने जैसे क़दम उठाए जा रहे हैं।

कोरोना वायरस के 4 चरण हैं–

पहला: एक आदमी जो कि कोरोना वायरस से संक्रमित देश में घूमकर आया है, जो खुद भी संक्रमित है उसके जरिए कई लोग बीमार हो सकते हैं।

दूसरा: अभी तक उन्हीं लोगों में कोरोना वायरस हुआ है, जो किसी कोरोना संक्रमित देश से घूमकर आए हैं। यानी अभी यह बीमारी स्थानीय स्तर पर एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैली है।

तीसरा: मौजूद संक्रमित लोगों से यह एक दूसरे लोगों में फैलने लगेगी। (भारत लगभग इस स्थिति की ओर बढ़ रहा है)

चौथा: मतलब महामारी शुरू हो जाना, यानी जब देश के अंदर ही बड़े भौगोलिक स्तर पर बीमारी अपने पैर जमा ले तो मान लीजिए यह चौथी स्टेज है। चीन, इटली में कोरोना वायरस ने महामारी की ही शक्ल ले ली है।

असली चिंता यहाँ ये है कि जब लगभग 15 दिनों तक संक्रमित व्यक्ति को ही पता नहीं चल पा रहा है कि वो वायरस का शिकार हो चुका है तो दूसरों को केसे पता चलेगा? और इन 15 दिनों में वो तरकीबन 20 लोगों से मिल ही रहा होगा जिससे उन 20 लोगों के भी संक्रमित होने की पूरी संभावना है। अब तक जो रिसर्च रही है वह ये बता रही है कि यह वायरस 1 से 3 लोगों में, 3 से 9 लोगों में और 9 से 27 लोगों में फ़ैल रहा है।  तो इससे बचने के लिए अभी तक जो रास्ता समझ में आता है वह ये कि फिलहाल जिन भी शहरों में कोरोना से पीड़ित मरीज हैं उन्हें पूरी तरह से अगले 15 दिनों तक बंद कर देना चाहिए (लोकडाउन)। इससे होगा यह कि यह वायरस उसी शहर में रह जाएगा और उसका प्रसार अन्य जगहों पर नहीं हो पायेगा। जिससे सरकार और डॉक्टरों का फोकस भी इन्ही संक्रमित जगहों पर रहेगा और वो इससे अच्छे तरह से निपट सकते हैं।


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