भारतीय सेना के जवान सरहद पर दुश्मनों से लड़कर हमारी रक्षा करते है और अपने प्राणों का बलिदान देते है, लेकिन इस जवान ने मरने के बाद भी पांच लोगों को नई जिन्दगी देकर अपना फ़र्ज़ निभाया।
बताया जा रहा है की, मिलिट्री हॉस्पिटल मे ब्रेन डेड घोषित किये गये एक सेना के जवान की किडनी, लिवर और दोनों आंखें दिल्ली के सेना के अस्पताल मे दूसरे मरीजों को ट्रांसप्लांट किया गया। जिसके लिए सेना ने दून से जौलीग्रांट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पांच लोगों को नई जिंदगी प्रदान की।
जानकारी के अनुसार, 24 अगस्त को देहरादून के सेना के अस्पताल मे एक जवान का ब्रेन डेड घोषित किया गया, जिसके बाद अगले दिन 25 अगस्त को सेना के दिल्ली के हॉस्पिटल से विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम देहरादून पहुंची और उसके बाद देहरादून स्थानीय पुलिस और यातायात पुलिस की मदद से मिलिट्री हॉस्पिटल से जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर, ब्रेन डेड जवान की किडनी, लीवर और दोनों आँखे वायुसेना के विमान से दिल्ली स्थित सेना हॉस्पिटल ले गयी। वहां भर्ती सेना के पांच मरीजों को ये अंग ट्रांसप्लांट किये गये। खास बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया में भारतीय सेना, वायु सेना, पुलिस और उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग के बीच बेहतरीन तालमेल नजर आया। जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है।
ग्रीन कॉरिडोर क्या होता है?
जानकारी के लिए आपको बता दे, जब आपात स्थिति में मानव अंग जैसे दिल या लिवर को प्रत्यारोपण के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक कम समय में ले जाने की आवश्यकता होती है, तो ग्रीन कॉरिडोर की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकिया मे अस्पताल के कर्मचारी, पुलिस, यातायात पुलिस सब सहयोग करके कम समय मे एंबुलेंस को एक से दूसरी जगह ले जाने मे सहायता करते है।
मिलिट्री हॉस्पिटल देहरादून के कमांडेंट, ब्रिगेडियर एके सूद ने मीडिया को बताया की इस प्रकिया मे सेना से लेकर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बेहतरीन तालमेल दिखाते हुए जीवन रक्षा के इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। अंग प्रत्यारोपण में शामिल सभी चिकित्सकों को इस कार्य के लिए बधाई और शुभकामनाएं। भविष्य में भी जीवन रक्षा की यह पहल जारी रहनी चाहिए।