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कर्नल कोठियाल इन दिनों केदारनाथ पुनर्निर्माण से भी चुनौतीपूर्ण काम कर रहे, जानिये क्या है वह

रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, आज उत्तराखंड के कई युवाओं के लिए वो प्रेरणास्रोत हैं। इनके बारे में अगर हम लिखना शुरू करें तो शायद शब्द कम पड़ जाएंगे, लेकिन इनकी उपलब्धियां एक से बढ़कर एक हैं। कर्नल अजय कोठियाल सेना से रिटायर हो गए हैं, लेकिन उनका मिशन देशसेवा और समाजसेवा महेशा से रहा है। केदारनाथ धाम को संवारने में अहम भूमिका निभाने वाले नेहरू पर्वतारोहण संस्थान निम के मुखिया रहे कर्नल अजय कोठियाल को भारत सरकार ने कुछ समय पहले एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है। केंद्र सरकार के निर्देश पर कर्नल अजय कोठियाल को म्यांमार भेजा गया है। जहां वो भारत सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।

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म्यांमार आर्मी और अराकन आर्मी की गोलीबारी के बीच कर्नल अजय कोठियाल और उत्तराखंड के युवा म्यांमार में सड़क निर्माण के काम पर जुटे हुए हैं। बेहद जटिल परिस्थितियों में केदारनाथ पुनर्निर्माण का काम सफलतापूर्वक करने वाले कर्नल अजय कोठियाल को भारत सरकार ने इस प्रोजेक्ट की कमान सौंपी है। उनके साथ उत्तराखंड के कई युवा भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में दिन-रात जुटे हुए हैं। भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत म्यांमार में अंतरराष्ट्रीय रोड कंस्ट्रक्शन किया जा रहा है, जिसका नाम कालादन मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट है। जिस इलाके में यह सड़क बनाई जा रही है, वहां म्यांमार आर्मी और अराकन आर्मी के बीच आए दिन गोलीबारी होती रहती है।

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कर्नल अजय कोठियाल ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में केदरानाथ पुनर्निर्माण से ज्यादा चुनौतियां हैं। खतरनाक जंगल, जानलेवा मलेरिया और जहरीले सांप-बिच्छू का डर हमेशा बना रहता है। उस पर बहुत तेज बारिश और अत्यधिक गर्मी से काम करने में मुश्किलें आती हैं। हर दिन नई चुनौतियां फेस करनी पड़ती हैं। बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर सक्रिय अराकाम आर्मी रोहिंग्या विद्रोही समूह है। जबरदस्त तनाव वाले इस क्षेत्र में भारत की मदद से म्यांमार एक रोड बना रहा है। इस अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट के पूरा होने से भारत-म्यांमार के रिश्ते मजबूत होंगे। जिससे चीन को कूटनीतिक झटका लग सकता है।

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