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गढ़वाल राइफल को अमेरिका का सलाम, अब देवभूमि मैं मिलकर करेंगे इस काम की तैयारी

अभी कुछ दिन पहले की बात है जब अमेरिका के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री भारत के दौरे पर आये हुए थे और इस दौरान उन्होंने भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से 2+2 वार्ता की थी। इस माटिंग में दोनों देशों के मध्य विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई और इन्हीं मुद्दों में एक प्रमुख मुद्दा था भारत और अमेरिका का हर साल होने वाले युद्धाभ्यास का, और इस बार अमेरिका खासतौर पर ये चाहता था कि ये युद्धाभ्यास गढ़वाल राइफल के साथ हो क्यूंकि पूरी दुनियां में गढ़वाल राइफल की शौर्यगाथा बड़े शान से गायी जाती है और इनके जैसे बहादुर सैनिक दुनियां की किसी भी अन्य बटालियन में मिलना नामुमकिन है।

इस मीटिंग के बाद अब ये निर्णय लिया गया है कि इस माह के 16 सितम्बर से लेकर 29 सितम्बर तक गढ़वाल राइफल के जवान अमेरिका के जवानों से युद्धाभ्यास करेंगे। इस युद्धाभ्यास के लिए चुना गया है उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के अंतर्गत आने वाले चौबटिया को तो अब इस 15 दिवसीय सेना के युद्धाभ्यास में अमेरिका के 400 और गढ़वाल राइफल के भी 400 जवान हिस्सा लेंगे। पीआरओ डिफेंस गार्गी मलिक ने इस मौके पर बताया कि इस संयुक्त युद्धाभ्यास की तिथियां तय हो चुकी हैं और चौबटिया में यह अभ्यास भविष्य में काउंटर इंसर्जेंसी के साथ ही आपदा में एक साथ काम करने के लिए किया जा रहा है।

इस साल के भारत-अमेरिका युद्धाभ्यास को अपग्रेड किया गया है और इसे बटालियन स्तर की फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज और एक डिविजन स्तर की कमांड पोस्ट एक्ससाइज कर दिया गया है। आपको बता दें कि भारत और अमेरिका के सैनिक हर साल एक दूसरे के साथ युद्धाभ्यास करते हैं एक साल यह अमेरिका में किया जाता है और एक साल भारत में पिछले साल यह युद्धाभ्यास अमेरिका के लुईस मैकॉर्ड ज्वाइंट बेस पर हुआ था। इस युद्धाभ्यास का ख़ास मकसद यही होता है कि दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे से अधिक से अधिक सीख सकें और जंग के मैदान में या आतंकियों से लोहा लेते हुए उन्हें इसका अच्छा लाभ मिल सके।

 


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