केदारनाथ आपदा से संबंधित एक याचिका को निस्तारित करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को केदारनाथ क्षेत्र में 2013 में आयी भयानक बाड़ के बाद के शव एक बार फिर ढूंढने के निर्देश दिए हैं। नैनीताल हाईकोर्ट ने दिशा निर्देश जारी करने के साथ ही ये भी कहा कि इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्तर के पांच अफसरों की टीम गठित की जाए। देश की राजधानी दिल्ली के रहने वाले आचार्य अजय गौतम ने इस मामले में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी, याचिका में कहा गया था कि केदारनाथ आपदा में 3500 लोगों को लापता बताया गया था, जबकि सरकार केवल 450 शव ही खोज पायी है।
नैनीताल हाईकोर्ट ने साथ ही उत्तराखंड सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रदेश की मुख्य नदियों और उनकी सहायक नदियों के दोनों किनारों पर एक किलोमीटर के दायरे में कोई कूड़ा नहीं दिखना चाहिए। और साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि इसके लिए डीएम और एसडीएम अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदारी लेनी होगी ताकि एक हफ्ते के अन्दर ही कूड़ा निस्तारण हो सके। हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय उद्यानों, वन्य जीव संरक्षण जैसे आदि छेत्रों को प्लास्टिक फ्री जोन घोषित करने का निर्देश दिया है। अजय गौतम की याचिका पर न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने शपथ पत्र पेश किया गया। शपथ पत्र में प्रदेश सरकार ने बताया कि बदरीनाथ, देवप्रयाग, ऋषिकेश, रुद्रप्रयाग का मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है।