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रुद्रप्रयाग के कंडारा गाँव में चक्रव्यूह का जबर्दस्त मंचन, देखने उमड़ पड़ा पूरा क्षेत्र

महाभारत युद्ध से जुड़े ऐतिहासिक व्यूह युद्धों का मंचन चल रहा है केदारघाटी में दशकों से चला आ रहा है, कुरुक्षेत्र युद्ध के चक्रव्यूह, कमलव्यूह, गरुड़व्यूह, बिंदुव्यूह की परंपरा पूरे देश में सिर्फ रुद्रप्रयाग की केदारघाटी में ही देखने को मिलती है। मान्यता यह है कि जब महाभारत युद्ध के बाद पांडवों को स्वर्ग की सीडी मिली थी तो वो केदारनाथ से ही स्वर्गारोहणी गए थे, और जो उनके पास युद्ध के सामन थे जैसे तीर-धनुष, गदा, तलवार वो सब उन्होंने केदारघाटी के लोगों को सौंप दिए थे| और अब कलयुग में उन्हीं के पश्वा इन युद्ध सामानों को नचाते हैं जिसके मंचन के लिए पांडव लीला का आयोजन किया जाता है।

रुद्रप्रयाग जिले के एक प्रसिद्ध गाँव कंडारा में इन दिनों पांडव लीला का आयोजन चल रहा है, और ये आयोजन लगभग पिछले एक महीने से चल रहा है और अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। आज यानी 6 जनवरी को यहाँ पर चक्रव्यूह का मंचन किया गया। मंचन में महाभारत युद्ध के दौरान गुरु द्रोणाचार्य की ओर से चक्रव्यूह की रचना की गयी थी और चक्रव्यूह को तोडना सिर्फ अर्जुन ही जानते थे। अर्जुन के युद्ध क्षेत्र से दूर चले जाने पर अर्जुन और द्रोपदी का पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह को खंडित करने के लिए युद्ध में उतरता है। क्यूंकि चक्रव्यूह के 6 द्वार तोड़ने की कला अभिमन्यु ने अपने गर्भ में ही सीख ली थी और उन्हें भरोसा था की 7वें द्वार को वो अपनी गदा से तोड़ देंगे। पर छल और कपट के द्वारा कौरवों ने अभिमन्यु की 7वें द्वार पर हत्या कर दी थी। कंडारा गांव में इस व्यूह का आज शानदार मंचन किया गया| जहाँ अभिमन्यु, दुर्योंधन, कर्ण, द्रोणाचार्य, जयद्रथ(अभिमन्यु की हत्या करने वाला) आदि की भूमिका निभा रहे कलाकारों द्वारा जबरदस्त अभिनय का परिचय किया गया। और इस सारे व्यूह को देखेने के लिए पूरा क्षेत्र इसमें उमड़ पड़ा आसपास के गाँव जैसे दोला, कन्यास, जलई, सुरसाल, भीरी, डमार, बष्टी, वीरों, भणज, चंद्रापुरी, भटवाड़ी, जयकंडी, परकंडी आदि प्रमुख हैं।


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