“दान-धर्मत परो धर्मो भत्नम नेहा विद्धते”
हिन्दू धर्म के अनुसार दान धर्म से बड़ा ना तो कोई पूण्य है ना ही कोई धर्म। दान, भीख, जो भी बदले में कुछ भी पाने की आशा के बिना किसी ब्राह्मण, भिखारी, जरूरतमंद, गरीब लोगों को दिया जाता है उसे दान कहा जाता है. हमारे धर्म ग्रंथो मै लिखा गया है कि न्यायपूर्वक एवं ईमानदारी से अर्जित धन का दसवां हिस्सा दान करना चाहिए. इस प्रकार के लोगो का हमेशा समान होता है. लेकिन कुछ लोग ऐशे बी होते है जो अपने पूरी जिंदगी की कमाई ही दान कर देते है. उन्ही मै से एक है दून की रिटायर शिक्षक पुष्पा मुंज्याल. उन्होंने अपनी सारी जमापूंजी गरीब एवं बेसहारा लोगों के इलाज के लिए दान दे दी और खुद वृद्धाश्रम में चली गयी। गुरु नानक इंटर कॉलेज खुड़बुड़ा मे रहीं शिक्षक पुष्पा सन 1999 में सेवानिवृत्त हुईं। समाज सेवा उनका ध्येय रहा, इसी कारण उन्होंने शादी भी नहीं की। रिटायर होने के बाद वर्ष 2011 में उन्होंने अपनी जीवनभर की कमाई (25 लाख रुपये) प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार दून अस्पताल को दान दे दी।
दानकर्ता के मुताबिक अस्पताल के सामने यह शर्त रखी गई है कि वह मूल रकम खर्च नहीं करेगा। यह रकम एक एफडी के रूप में अस्पताल को दी गई है। इससे मिलने वाले सालाना ब्याज से मरीजों की मदद की जाएगी। इस रकम से अस्पताल की कई छोटी-छोटी जरूरतें भी पूरी हो रही हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के अनुसार सेवानिवृत्त शिक्षिका ने तकरीबन छह वर्ष पूर्व एफडी के रूप में यह रकम अस्पताल को दी थी। इससे मिलने वाले ब्याज से छोटे-छोटे ही सही, पर कई आवश्यक काम होते आए हैं। उनका कहना है कि अन्य लोगों को भी इसी तरह समाज सेवा में आगे आना चाहिए।