पूरे विश्व की प्रमुख और रमणीक झीलों में से एक नैनी झील जो नैनीताल जैसे सुन्दर हिल स्टेशन की जान है वो उसके लिए आज खतरे की घंटी बज गयी है। नैनी झील का पानी आजकल हर रोज लगभग सवा इंच कम हो रहा है, और अगर बात करें पिछले तीन महीने की तो झील का पानी लगभग ६ फीट कम हो गया है। अब यहाँ प्रशासन के माथे पर बल पड़ गया है अगर बाकी बचे इस महीने और जनवरी में यहाँ बारिश और बर्फबारी नही होती है तो आने वाले फरवरी माह तक नैनी झील का पूरा पानी सूख जायेगा।
इस परेशानी से चिंतित जिलाधिकारी दीपेंद्र चौधरी ने सिंचाई विभाग व नगर पालिका के अधिकारियों की बैठक तुरंत बैठक ली है। और नैनी झील के पानी में लगातार हो रही कमी पे अपनी चिंता जाहिर की है, विदित हो कि 2016 से पहले झील से शहर को प्रतिदिन 16 से 20 घंटे पानी की सप्लाई होती थी, जो करीब 16 एमएलडी थी, लेकिन 2015-16 में बारिश, बर्फबारी में कमी आई व झील का आकार बदल गया है।
पर्यबरंविदों का कहना है कि नैनी झील की दुर्दशा के लिए सबसे बड़ा कारण इसके आसपास अंधाधुंध निर्माण, पेड़ों के गिरने, जल क्षेत्र को कंक्रीट से पाटने और आबोहवा में बदलाव को जिम्मेदार बता रहे हैं। झील के तीन और स्थित पहाड़ियों के हरे-भरे जंगल पिछली आधी शताब्दी के बाद से सीमेंट की इमारतों में तब्दील हो गए हैं। नैनी झील के सूखने की सबसे बड़ी वजह इसकी सहायक झील ‘सूखा ताल’ का मकानों से ढक जाना भी है। लेकिन सूखताल के महत्व को लगातार नजरअंदाज किए जाने की वजह से ये वाकई अपने नाम के अनुरूप ही नैनी झील के लिए सूख गया है।