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आज ही हुआ हुआ था भारत को परमाणु शक्ति बनाने वाले शख्स का निधन, जानिए इनके बारे में सब कुछ

हम यहाँ बात कर रहे हैं देश को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की जिनका जन्म मुंबई के एक अमीर पारसी परिवार में 30 अक्टूबर, 1909 को हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा कैथरैडल स्कूल में हुई और फिर आगे की शिक्षा के लिए जॉन केनन में पढने चले गये, पुस्तकालय की व्यवस्था इनके लिए घर में ही की गयी थी और इनकी रूचि शुरुआत से ही भौतिक विज्ञानं और गणित में थी। वर्ष 1927 में वो इंग्लैंड चले गए जहाँ उन्होंने कैंब्रिज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। पीएचडी के दौरान उनको आइजेक न्यूटन फेलोशिप भी मिली थी और उसके बाद इन्हें प्रसिद्ध वैज्ञानिक रुदरफोर्ड, डेराक, तथा नील्सबेग के साथ काम करने का अवसर भी मिला।

इसके बाद होमी 1939 में भारत वापस आ गये और इन्होने चुनिन्दा वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। जब भारत 1947 में आजाद हुआ तो उन्होंने पूरी दुनियां में काम कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों से अपील की कि वो सब भारत वापस लौट आयें| और लोटकर वापस आने वालों में एक थे मैनचेस्टर की इंपीरियल कैमिकल कंपनी में काम करने वाले होमी नौशेरवांजी सेठना, जिनकी ख्याति तब पूरी दुनियां में थी। जिनके साथ मिलकर होमी जहांगीर भाभा ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने के कार्यक्रम में जी जान से जुट गए। इस दौरान होमी जहांगीर भाभा का निधन हो गया लेकिन निधन के बावजूद न तो यह कार्यक्रम रुका और न ही इसमें कोई बाधा आई। जिसके बाद सन 1974 में इंदिरा गांधी के नेत्रित्व में भारत ने परमाणु विस्फौट कर पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया था। डॉ भाभा को पाँच बार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया परन्तु विज्ञानं की दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान इस महान वैज्ञानिक को मिल नहीं पाया।

होमी जहांगीर भाभा को भारत के परमाणु कार्यक्रम का जनक कहा जाता है, अगर वो ना होते तो शायद आज तक भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश न बना होता| उन्होंने न्यूगक्लियर साइंस पर तब काम करना शुरू किया था जब दुनिया को इसकी चैन रिएक्श न के बारे में काफी कम जानकारी थी। इतना ही नहीं उस वक्ता नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उनके निधन के बारे में यह माना जाता है कि उस समय अमेरिका होमी जहांगीर भाभा से इतना डरा हुआ था कि उसने खुफिया एजेंसी सीआईए ने स्विट्जरलैंड में एक विमान दुर्घटना में  उनकी हत्या  करवा दी थी। पर जो वो भारत के लिए कर गये इन सभी बातों के लिए पूरा देश उन्हें हमेशा याद करता रहेगा और वो हर भारतीय के दिल में बसते भी हैं।

सम्मान–

  • उनको पाँच बार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया
  • वर्ष में 1943 में एडम्स पुरस्कार मिला
  • वर्ष 1948 में हॉपकिन्स पुरस्कार से सम्मानित
  • वर्ष 1959 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने डॉ. ऑफ सांइस प्रदान की
  • वर्ष 1954 में भारत सरकार ने डॉ. भाभा को पद्मभूषण से अलंकृत किया

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