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शर्मनाक: 6 साल बाद भी केदारघाटी में जान जोखिम में डाल मंदाकिनी नदी पार कर रहे हैं नौनिहाल

देवभूमि उत्तराखंड में जून 2013 को आयी बाढ़ को भला कौन भूल सकता है। उस समय बाढ़ ने पूरे उत्तराखंड में तांडव मचाया था और खासकर सबसे ज्यादा नुकसान अगर कहीं हुआ था तो वो था केदारघाटी को। केदारघाटी में उस समय जान-माल की हानि के साथ-साथ कई सडकें, पुल पूरी तरह से खत्म हो चुके थे। इसी कड़ी में हम आपको यहाँ बता रहे हैं केदारघाटी में बेडूबगढ़ के सामने बसे हुए हाट गाँव की। आपदा से पहले इस गाँव को जोड़ता हुआ एकमात्र पुल बेडूबगढ़ में ही बना था पर 16 जून की रात आयी वो भयंकर बाढ़ इस पुल को भी अपने साथ बहाकर ले गयी थी।

इस बात को अब 6 साल से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन आलम तो देखिये अब तक इस गाँव की 250 लोगों की आबादी के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया है। मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ने से लोक निर्माण विभाग ने ग्रामीणों की सुविधा के लिए लगाया गया फोल्डिंग पुल भी हटा दिया है, जबकि केदारनाथ आपदा के बाद वर्ष 2014 में यहां पर लगाई ट्रॉली खराब पड़ी है। ऐसे में छोटे-छोटे स्कूली बच्चों के साथ ही ग्रामीण भी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं। यहां पर मोटर पुल स्वीकृत है, लेकिन अब तक पुल का निर्माण कार्य शुरू भी नहीं हो पाया है।

केदारघाटी के हाट गांव के ग्रामीणों की पैदल आवाजाही के लिए लोनिवि की ओर से हर साल मंदाकिनी नदी पर अस्थायी फोल्डिंग पुल बनाया जाता है। जिसे मानसून सीजन में नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण हटाना पड़ता है। इसी को देखते हुए वर्ष 2014 में मंदाकिनी नदी पर ट्रॉली लगाई गई थी, ताकि ग्रामीणों को नदी पार करने में कोई दिक्कत न हो, लेकिन यह ट्रॉली पिछले कुछ समय से खराब पड़ी है, जिससे स्कूली बच्चों के साथ ही ग्रामीणों को जान हथेली पर रखकर नदी पार करनी पड़ रही है। ग्राम प्रधान हाट सुनीता देवी ने बताया कि इस संबंध लोनिवि के साथ प्रशासन को भी अवगत कराया जा चुका है, लेकिन अब तक कहीं से सुनवाई नहीं हो पा रही है।

इस पूरे घटनाक्रम पर सहायक अभियंता, लोक निर्माण विभाग एस.राणा का कहना है कि हर बरसात मंदाकिनी नदी पर लगाया गया अस्थायी पुल हटाना पड़ता है। जबकि, ट्रॉली को ठीक करने के लिए विभाग के पास बजट ही उपलब्ध नहीं है। यहां पर मोटर पुल स्वीकृत है, जिसके निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। अब इससे शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि गाँव के 250 लोगों की समस्या का समाधान करने के लिए लोक निर्माण विभाग के पास बजट ही नहीं है।


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