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संतोष ट्रॉफी में हार के बाद खिलाडियों के साथ शर्मनाक बर्ताव, खेलमंत्री ने दिए जांच के आदेश

उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में इन दिनों राष्ट्रीय फ़ुटबाल की सबसे बड़ी प्रतियोगिता संतोष ट्रॉफी का आयोजन किया जा रहा है, जिसमे कि आजकल नार्थ जोन के मैच खेले जा रहे हैं, इसमें उत्तराखंड की टीम भी हिस्सा ले रही थी, सभी को उम्मीद थी कि इस बार खिलाड़ी फुटबाल में अच्छा प्रदर्शन करेंगे और नार्थ जोन में अच्छा स्थान पाकर फिर बाकी प्रदेशों से उसकी भिडंत होगी। पर दुखद ये हुआ कि खिलाड़ी इस बार उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाये और उत्तराखंड की टीम शुरु के अपने दोनों मैच हार गयी जहाँ पहले मैच में टीम को हरियाणा से हार मिली तो दूसरे मैच में भी टीम को चंडीगढ़ से हार का सामना करना पड़ा, जिसके कारण भले ही तीसरे मैच में उत्तराखंड ने उत्तरप्रदेश को 2-0 से हराया हो पर उससे टीम को कोई फायदा नहीं हुआ और टीम लीग चरण में ही हार कर बाहर हो गयी। इसके अलावा कोच की भी इस प्रतियोगिता में भद पिटी क्यूंकि प्रतियोगिता के पहले ही मैच में उत्तराखंड की टीम को हरियाणा के खिलाफ बिना कोच के ही मैदान में उतरना पड़ा था क्यूंकि कोच के पास बी लाइसेंस नहीं था। इससे भी इस मैच के दौरान काफी फर्क पड़ा, वरना क्या पाता उत्तराखंड वो मैच जीत जाती और टीम प्रतियोगिता में आगे बढ़ पाती।

पर टीम की हार के बाद खिलाडियों से जैसा व्यवहार किया गया वो काफी शर्मनाक है, तीसरे मैच के बाद खिलाडियों से उनकी ट्रेकशूट और किट तक उतरवा दी गयी, और उनको वापस उत्तराखंड तक आने की टिकट तक नहीं दी गयी, अगर उत्तारखंड फुटबाल एसोसिएशन अपने खिलाडियों के साथ ऐसा बर्ताव करेगी तो कौन माँ-बाप कल के दिन अपने बच्चों को फुटबाल खेलने के लिए प्रेरित करेगा, ऐसे तो कभी भी अच्छे खिलाड़ी निकलकर सामने नहीं आ पायेंगे, और अब उसके पीछे उत्तारखंड फुटबाल एसोसिएशन ने ये दलील दी है कि खिलाडियों से ट्रेकशूट और किट इसलिए उतरवायी गयी क्यूंकि इसके बाद लड़कियों की संतोष ट्रॉफी के मैच यहाँ खेले जाने हैं, तो क्या फुटबाल एसोसिएशन में पैंसों का इतना लाला है कि वो पुरुष और महिला टीम के लिए अलग-अलग ट्रेकशूट और किट की भी ब्यवस्था नहीं कर सकती, चलिए अगर उनका ये कारण ठीक भी है तो क्या फुटबाल एसोसिएशन के पास टिकेट के लिए भी पैंसे नहीं है, ये सारे हालात उत्तराखंड में फुटबाल की दशा को बयां करने के लिए काफी हैं। अब इस मामले को गंभीर मानते हुए उत्तराखंड के खेलमंत्री अरविंद पांडे ने जांच के आदेश दे दिए हैं, और कहा है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


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