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वैलंटाइन वीक यानी आशिकों के नवरात्र आज से शुरू, जानिये क्या क्या परेशानियाँ झेलता है एक आशिक

पिछले 10-12 सालों में अगर युवाओं को जिस समय का सबसे ज्यादा इन्तजार होता है वो शुभ मुहरत और शुभ घडी आज यानी 7 फरवरी से शुरू हो चुकी है। इस पूरे सप्ताह में आशिक को तमाम तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। जिन आशिकों के पास पहले से ही देवियाँ (प्रेमिकायें) हैं वो इस पूरे हफ्ते अपनी देवियों की आवाभगत में लगे रहते हैं ताकि उनकी देवियाँ हमेशा प्रसन्न रह सके और इस दौरान वो तमाम तरह की जिल्लतैं झेलता और सहता है उसे खुश रखने के लिए। और वही दूसरी ओर वो आशिक जिनके पास अभी तक अपनी  देवी नहीं है वो उनसे भी ज्यादा तकलीफें सहन करता है और अपने दोस्तों और यारों जिनकी पहले से ही प्रेमिकायें होती हैं उनसे भी अनेक प्रकार की जिल्लतों को सहता है और इनसे भी कठोर वैलंटाइन वीक का पालन करते हुए चाहता है कि कैसे भी करके इस बार कोई देवी उनसे प्रसन्न हो जाए और वो भी अपना नवरात्र सफल कर सके। तो चलिए आपको रूबरू कराते हैं इस पूरे सप्ताह के दौरान क्या क्या करता है एक आशिक ताकि आठवें दिन उसके नवरात्र सफल हो सकें।

सबसे पहले आता है 7 फरवरी का दिन इस दिन एक प्रेमी सुबह सुबह उठकर और नहा धोकर अपने ऊपर फोग सेंट वाला परफ्यूम डालकर अपनी देवी को प्रसन्न करने के लिए लाल गुलाब पुष्प उसके चरणों में अर्पित करता है, क्यूंकि सभी देवियों को गुलाब पुष्प सबसे प्रिय पुष्प होता है। उसके बाद आएगा 8 फरवरी इस दिन आशिक अपनी प्रेमिका से मिन्नतें माँगते है यानी उन्हें प्रपौज करते हैं ताकि वो उसके प्रस्ताव स्वीकार कर ले। और जब प्रेमिका उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लेती हैं तब तीसरे दिन उन्हें खाने का आमन्त्रण देकर देवी को उसकी सबसे प्रिय चीज यानी चोकलेट खाने में देता है, उसके बाद देवी अपने भक्त (प्रेमी) से और भी खुश जाती है।

उसके बाद चोथे दिन प्रेमिका को और भी खुश करने के लिए भालू की बलि यानी टेडी भेंट करता है, जिसके बाद देवी प्रसन्न हो जाती है। उसके बाद पांचवे दिन देवी को अरदासे लगाई जाएंगी यानी पूरे दिन और रात जागर देवी से वादा (प्रोमिस) किया जायेगा। जिससे देवी अपने भक्त से अत्यधिक प्रसंन्न हो जाती है और छठे दिन खुश होकर अपने भूके प्यासे भक्त को अपने गले से लगा लेती हैं। जिसके बाद आशिक का दिल कहा भरता है और सातवें दिन देवी भक्त की ख़ुशी के लिए एक आलिंगन करके उसे “परसाद” देती है। और इस तरह से 7 दिन की घनघोर तपस्या के बाद 14 फरवरी को भक्त और उसकी देवी का पूर्ण रूप से मिलन होता है और दोनों मिलकर जगराता करते हैं।


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