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क्या सही बात बोलकर गया Apple का को-फाउंडर ये मोटू, सुन रहे हो ना प्रिंसिपल और बापू जी

अपने यहाँ इण्डिया में शुरू से ही ये कल्चर घर कर गया है कि शर्मा जी का बेटा 95% मार्क्स लाया है, गुप्ता जी का बेटा 90% मार्क्स लाया और तुम्हारे सिर्फ 55% क्यूँ नालायक कहीं के और फिर बापू और अम्मा शुरू कर देते हैं दे दना दान थप्पड़ों और डंडों से पिटाई। तो ये सिस्टम शुरू से ही हम जैसे अक्खड़ क्रिएटिव लोगों के लिए बहुत उबाऊ रहा है हमारे माँ बाप को ये नहीं दिखा कि हमारा ये बेटा केवल परीक्षा से पहले वाली रात पढ़कर 55% लाया है, वो शर्मा-वर्मा के लड़कों के तरह कागजी कीड़ा नहीं था वो, वो तो साल के बाकी दिनों में हमेशा कुछ अलग करता रहा था, हमेशा कुछ नया करता रहता था वो चीज किसी को नहीं दिखी आखिर दिखता है तो सिर्फ ये 55%, तो मूलभूत कमी हमारे एजुकेशन सिस्टम की है साहब जिसने हमारा टैलेंट नहीं देखा और आज यही बात दुनियां की सबसे बड़ी कम्पनी Apple का को-फाउंडर स्टीव वॉजनिएक भी चिल्ला चिल्ला कर दुनियां को बता रहा है।

ये स्टीव वॉजनिएक वहीँ आदमी है जिसने सबसे पहले ऐपल कंप्यूटर बनाया था जिसका नाम Apple 1 रखा गया था, और अब इन्होंने कहा है कि भारत में जॉब मिलने को सफलता माना जाता है, भारतीय एजुकेशन सिस्टम पढ़ाई पर टिकी है और यहाँ क्रिएटिविटी को बढ़ावा नहीं दिया जाता है, इसीलिए यहाँ आजतक Apple, Google, Microsoft जैसे दिग्गज क्रिएटिव कम्पनियाँ नहीं पैदा हुई हैं, यहाँ की आईटी दिग्गज इनफोसिस भी इनोवेटिव नहीं है और फिलहाल ऐसा होने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है।

उन्होंने अपनी बात में आगे ये भी कहा कि भारतीयों में क्रिएटिविटी की कमी है और यहाँ अच्छे करियर को ही अधिक महत्व दिया जाता है और यहाँ ये देखा जाता है कि फलां व्यक्ति के इतने अच्छे ऐकेड्मिक हैं,  इतना ज्यादा पढ़ा-लिखा है, इतनी अच्छी जॉब है और इतनी अच्छी लाइफ वो जी रहा है. एक छोटे से देश न्यूजीलैंड को देखिये जहाँ लेखक, सिंगर, खिलाड़ी उभरते रहते हैं।

अब हमारे देश के कथित बुद्धिजीवी स्टीव वॉजनिएक को गलियाने में जरा भी देर नहीं करेंगे, कि आखिर तो हो कौन और खुद को समझते क्या हो तुम्हारी औकात कैसे हुई ये सब बोलने की, हमारी संस्कृति लाखों साल पुरानी है हमारा ज्ञान लाखों वर्ष पूर्व का है, हम ये हैं वो हैं। कथित बुद्धिजीवियों ऐसा करने से कुछ नहीं होने वाला स्टीव वॉजनिएक बिलकुल सटीक बात करके गया है। अगर सच में कुछ करना चाहते हो तो भारत के एजुकेशन सिस्टम को सुधारो इसे कैसे क्रिएटिव किये जाए उस पर बात करो ताकि कल के दिन कोई स्टीव वॉजनिएक जैसा सख्स हमें हमारी औकात ना दिखा सके।