मशहूर सेब बागवान रामलाल चौहान महाराष्ट्र में संतरे के कारोबारी के पास कमीशन एजेंट का काम करते थे। उन्हें वह काम ज्यादा समय तक रास नहीं आया और आता भी कैसे उनके सपने जो बड़े थे। उन्होंने नौकरी छोड़ गांव का रुख किया। उनके सात भाई होने के कारण उनके हिस्से में 10 बीघा जमीन ही आई। रामलाल ने अपने हिस्से की जमीन में सेब की खेती शुरू कर दी उन्होंने पुरानी किस्मों के कम पैदावार करने वाले सेब के पेड़ काटकर इनके ऊपर हाई कलर किस्मों की टॉप ग्राफ्टिंग की।
शिमला शहर से 55 किलोमीटर दूर ढांगवी गांव के निवासी रामलाल चौहान के दो बगीचे हैं। रामलाल चौहान ने हाल ही में एक करोड़ 40 लाख रुपये खर्च कर रेंज रोवर कार खरीदी है। इसमें 47 लाख रुपये आयात शुल्क, टैक्स, पंजीकरण और बीमा के चुकता किए हैं।सैकड़ों पुरस्कार पा चुके चौहान को हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन वर्ष 2011 में Farmer of the Year अवार्ड दे चुके हैं। आपको बता दें कि रामलाल ने दर्जनों देशो से सेब बागवानी का आधुनिक प्रशिक्षण भी लिया हैं। हिमाचल के बहुत से युवा रामलाल को अपना प्रेरक मानकर बागवानी की ओर मुड़ रहे हैं और अपने कारोबार को बढ़ा रहे हैं।
उन्हें जमशेदजी टाटा फेलोशिप भी मिली है। चौहान सेब और नाशपाती की दर्जनों किस्मों पर काम कर रहे हैं। लगभग 50 बीघा में की जा रही सेब बागवानी में उनके भाई मोतीलाल चौहान भी सहायता करते हैं। रामलाल यूएसए की वैनवैल नर्सरी में एक सप्ताह का प्रशिक्षण ले चुके हैं। अमेरिका, चीन, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी समेत एक दर्जन देशों में सेब बागवानी की आधुनिक तकनीक सीख चुके हैं।
साभार: www.weuttarakhand.com