रुद्रप्रयाग में स्थित ‘त्रिजुगी नारायण’ यात्रा की एक पवित्र जगह है, माना जाता है कि सतयुग में जब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था तब यह ‘हिमवत’ की राजधानी थी। रोचक तथ्य यह है कि जिस हवन कुण्ड की अग्नि को साक्षी मानकर विवाह हुआ था वह अभी भी प्रज्वलित है। आज भी वहां उस विवाहवेदी की धुनि जलती हुयी दिखाई जाती है।
मान्यता के आधार पर इस हवन कुण्ड की राख, भक्तों के वैवाहिक जीवन को सुखी रहने का आशीर्वाद देती है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां शादी करने वाले जोड़े की जिंदगी संवर जाती है। आज भी देश विदेशों से लोग यहाँ आकर शादी करते है!
आपको FIR सीरियल की चंद्रमुखी चौटाला भी ज़रूर याद होंगी उन्होंने भी इसी मंदिर मे शादी की थी!
शिव पुराण मे त्रियुगीनारायण का जिक्र करके लिखा गया है कि यह वही स्थान है जहाँ पर शिव और पर्वती का विवाह हुआ था जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह मंदिर है ।
मंदिर का नाम तीन शब्दों यथाः त्रि यांनी तिन , युग यानी सत युग , त्रेता व द्वापर , नारायण विष्णु का ही एक नाम इस तरह त्रियुगी नारायण नाम उचित ही जान पड़ता है। इसी पवित्र स्थान के आस-पास ही एक विष्णु मंदिर भी है। इस मंदिर की वास्तुशिल्प शैली भी केदारनाथ मंदिर की ही तरह है। इस जगह के भ्रमण के दौरान पर्यटक रुद्र कुण्ड, विष्णु कुण्ड और ब्रह्म कुण्ड भी देख सकते हैं। इन तीनों कुण्डों का मुख्य स्त्रोत ‘सरस्वती कुण्ड’ है। मान्यताओं के अनुसार, इस कुण्ड का पानी भगवान विष्णु की नाभि से निकला है। इस जगह को महिलाओं के बांझपन का इलाज करने के लिए भी जाना जाता है।
हिमवंत देश होला त्रिजुगी नरेण…
देब्तो मा देव ठुला त्रिजुगी नरेण..
नरेण..नरेण..जय हो जय जो जस जय त्रिजुगी नरेण..
हिमवंत देश होला त्रिजुगी नरेण…
देब्तो मा देव ठुला त्रिजुगी नरेण..
पार्वती को मैत यख ..शिव को सौराष..
{शिव को सौराष..त्रिजुगी नरेण.}
तीन जुग बटी धुन बजी च..पूजा बारमास
{पूजा बारमास..त्रिजुगी नरेण}
हिमवंत देश होला त्रिजुगी नरेण…
देब्तो मा देव ठुला त्रिजुगी नरेण..
{हिमवंत देश होला त्रिजुगी नरेण…
देब्तो मा देव ठुला त्रिजुगी नरेण..}
हिमाचल राजा करदा कन्या कु दान .
कन्या कु दान ….त्रीजुगी नारैण.
पार्वती संग फेरा फेरदा शंकर भगवान.(शंकर भगवान …
त्रीजुगी नारैण)
नारैण…ना…रैन, जै हो जै जौ जस दे त्रीजुगी नारैण.
हिमवंत देश होला त्रीजुगी नारैण..