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उत्तराखंड की बेटी: लाखों का पैकेज छोड़ कोस्ट गार्ड बनीं सोनाली, और रचा ये इतिहास

अगर आप अब तक ये सोचते आये हैं कि पहाड़ में सिर्फ लड़कों में ही सेना में जाकर देश सेवा का जज्बा होता है तो आप पूरी तरह से गलत हैं क्यूंकि पहाड़ के बेटे ही नहीं बेटियां भी देश की सेवा में अपना अहम योगदान देती रही हैं। इन बेटियों में अब एक और बेटी का नाम जुड़ गया है और वो नाम है  सोनाली मनकोटी का। सोनाली भारतीय तटरक्षक सेवा में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट शामिल हुई हैं। इससे भी ख़ास बात ये है कि सोनाली कुमाऊं की ऐसी पहली महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने कोस्ट गार्ड सेवा में शामिल हो उत्तराखंड का मान बढ़ाया है।

सोनाली को अपने दादा, पिता और चाचा को देखकर बचपन से ही सेना में जाने का सपना था और अब सोनाली ने इसी साल जून में भारतीय नौसेना एकेडमी ज्वॉइन की थी। वहां से छह महीने की ट्रेनिंग के बाद 30 नवंबर को कमीशंड प्राप्त करके भारतीय कोस्ट गार्ड सेवा में बतौर असिटेंट कमांडेंट शामिल हुई हैं। भारतीय नौसेना में शामिल होने से पहले सोनाली टाटा कंसल्टेंसी सर्विस गुड़गांव में सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में कार्य कर रहीं थीं। सोनाली के दादा सूबेदार मेजर (रि.) प्रताप सिंह मनकोटी और पिता सूबेदार मेजर (रि.) कुंदन सिंह मनकोटी भारतीय सेना में रहे हैं।

सोनाली को बचपन से ही अपने चाचा की सफेद रंग की वर्दी नौसेना में जाने के लिए प्रेरित करती रही थी। यही वजह है कि उन्होंने लाखों के पैकेज को छोड़कर अपने बचपन के सपने को पूरा करने को प्राथमिकता दी और 30 नवंबर को उनका यह सपना पूरा भी हो गया है। आईएनए में प्रशिक्षण के दौरान कई चुनौतियां आईं, जिन्हें उन्होंने अपनी हिम्मत और लगन से पार भी किया। कई कैंपों में हिस्सा लिया और ड्रिल प्रतियोगिताएं भी जीतीं। सोनाली कहती हैं कि आईएनए में उनका अनुभव अविस्मरणीय है।


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