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ऊखीमठ की 74 वर्षीय जीवंती देवी, उम्र के इस पड़ाव पर भी लड़ रही महिलाओं के हक की लड़ाई

उत्तराखंड की नारियां किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं जब-जब समाज को उनकी जरुरत पडी है वो हमेशा सबसे आगे खडी नजर आती हैं। ऐसा ही एक नाम है रुद्रप्रयाग जिले की ऊखीमठ तहसील के सीमांत गांव रांसी की 74-वर्षीय जीवंती देवी। जो  बीते चार दशक से मध्यमेश्वर घाटी के दर्जनों गांवों में महिलाओं को स्वास्थ्य, शिक्षा व स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रही हैं। उनकी इस पूरे क्षेत्र की शराब विरोधी आंदोलन में अग्रणी भूमिका रही। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाने वाली जीवंती देवी दो बार क्षेत्र पंचायत सदस्य भी चुनी गईं।

इस दौरान उन्होंने विभिन्न मंचों पर महिलाओं को जल, जंगल और जमीन से जोड़ने की जोरदार पैरवी की। उम्र के इस आखरी पड़ाव पर भी वह गांव-गांव जाकर महिलाओं को नशा विरोधी अभियान व स्वच्छता के प्रति जागरूक करने में जुटी हैं। इसी का नतीजा है कि आज इस क्षेत्र की कई महिलाएं स्वरोजगार के जरिये अपनी आर्थिकी संवार रही हैं। यही नहीं,  नशा विरोधी अभियान का भी इस पूरे क्षेत्र पर असर साफ देखा जा सकता है। जीवंती देवी के कार्यो के लिए उन्हें समय-समय पर विभिन्न मंचों की ओर से सम्मानित भी किया जाता रहा है।

आपको ये भी बता दें कि हाईस्कूल तक शिक्षा ग्रहण करने वाली जीवंती देवी अपने दौर में मध्यमेश्वर घाटी की सबसे शिक्षित महिला रही हैं। जीवंती देवी एक कवि भी हैं और गढ़वाली भाषा में उनका एक कविता संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है। सीमांत गांवों का लगातार भ्रमण कर वहां महिलाओं से जुड़ी समस्याओं को समझती हैं और फिर उन्हीं के साथ मिलकर इनके समाधान को भी कार्य करती हैं।

जीवंती देवी को अबतक मिले सम्मान

  • वर्ष 2008 में महिला महासभा देहरादून की ओर से ङ्क्षटचरी माई स्मृति सम्मान।
  • वर्ष 2010 में प्रदेश सरकार की ओर से तीलू रौतेली सम्मान।
  • वर्ष 2011 में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने की ओर से सामाजिक कार्यों में सक्रियता के लिए ब्रिटिश चैतन्य रत्न सम्मान।
  • वर्ष 2017 में मध्यमेश्वर घाटी विकास मंच की ओर से वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता सम्मान।

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