Home उत्तराखंड पाक की कायराना हरकत से खौल रहा पूरे देश का खून, पूर्व...

पाक की कायराना हरकत से खौल रहा पूरे देश का खून, पूर्व फौजी इस तरह लगा रहे ललकार

बीते 26 फरवरी के दिन पूरे देश में खुशी का माहौल था और होता भी क्यों नहीं, हमारे जांबाज पायलटों ने पाकिस्तान के आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब जो दिया था। पर भारत को खुशी का एक ही दिन नसीब हुआ था क्यूंकि रात गुजरने के बाद जब अगला दिन शुरू हुआ तो एक अजीब से कसक दिल में लग गयी थी। क्यूंकि इस बीच खबर आई कि कश्मीर में वायुसेना का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। इसके साथ ही भारत की कार्रवाई में पाक एयरफोर्स का भी एक विमान मार गिराया गया है। सीमा पर इस तरह के युद्ध जैसे हालात देखकर लोगों ने कहा कि आतंकवादियों से बदला लिए बिना नहीं छोड़ेंगे। फिर हर कोई ताजा जानकारी लेने के लिए टीवी की ओर देखता रहा।

हर एक की जुबान पर बस एक ही आवाज थी कि इस बार पाकिस्तानियों से आर-पार की लड़ाई कर उसका खात्मा करके ही दम लेंगे। लोगों ने कहा कि अब हिंदुस्तानी डरेंगे नहीं बल्कि सेना के जवानों के साथ खड़े होकर देश के लिए लड़ेंगे। साल 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध में भाग लेने वाले 78 वर्षीय मेजर वाईबी थापा (सेवानिवृत्त) का आतंक के नाम पर आज भी खून खौल जाता है। वो कहते हैं कि मन करता है आतंकवादियों को चुन-चुन कर मौत के घाट उतार दूं। उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान उन्हें छह गोलियां लगी थीं जिसके चलते वह साढ़े चार साल तक अस्पताल में भर्ती रहे थे। मंगलवार को भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि सेना ने आतंकवाद के खिलाफ सटीक कार्रवाई की है।

वर्ष 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध में देहरादून के दो दोस्त हवलदार बिसन सिंह और सूबेदार लाल बहादुर क्षेत्री (दोनों सेवानिवृत्त) ने साथ मिलकर आतंकियों की नींद उड़ाई थी। बिसन सिंह ने बताया कि दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि दोनों साथ में सेना में भर्ती हुए थे। जिसके बाद 1/9 गोरखा बटालियन में दोनों ने मिलकर देश की रक्षा की। दोनों ने भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि हमारी सेना ने जवानों की शहादत का मुंहतोड़ जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि पाक ने हमेशा पीछे से हमला किया है और हर बार भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। देहरादून के रहने वाले बीएस अधिकारी को अपने पिता की शहादत की याद आ गई। बीएस अधिकारी के पिता नायब सूबेदार ईश्वर सिंह अधिकारी वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हो गए थे। जब भी सीमा पर तनाव होता है, उन्हें अपने पिता की बहादुरी याद आती है। वह चार भाई-बहन हैं। पिता के शहीद होने के वक्त चारों भाई-बहन छोटे थे। उन्होंने बताया कि छोटी उम्र में ही पिता का साया उठ गया था लेकिन पिता की बहादुरी के बारे में अक्सर आसपास के लोग बताते थे।


LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here