कल यानी 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ लेने वाले सभी नेताओं को उनके पद आवंटित कर दिए थे। इसी कड़ी में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक को भारत का नया मानव संसाधन विकास मंत्रालय(MHRD) आवंटित हुआ है। उन्हें ये पद मिलने के बाद से पूरे उत्तराखंड में भी ख़ुशी की एक लहर है। पर अब पद संभाले हुए उन्हें एक ही दिन हुआ है और उनके साथ एक विवाद ने जन्म ले लिया है।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक कथित फेक डिग्री विवाद में खुद को घिरा पा सकते हैं। निशंक अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाते हैं और उन्हें श्रीलंका स्थित एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय से दो-दो मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई है। पर यहाँ समस्या ये है कि यह विश्वविद्यालय श्रीलंका में पंजीकृत ही नहीं है।
यहाँ पूरा मामला यह है कि 90 के दशक में कोलंबो की ओपेन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने रमेश पोखरियाल निशंक को शिक्षा में योगदान के लिए एक डी लिट (Doctor of Literature) की डिग्री दी थी। उसके कुछ वर्षों बाद विज्ञान में योगदान के लिए उन्हें एक और डी लिट डिग्री इसी विश्वविद्यालय से मिली। पर यहाँ परेशानी ये है कि यह विश्वविद्यालय श्रीलंका में न तो विदेशी और न ही घरेलू विश्वविद्यालय के तौर पर रजिस्टर्ड है. श्रीलंका के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है।
ख़बरों के अनुसार पिछले वर्ष देहरादून में फाइल हुई एक आरटीआई पर उनके बायोडाटा के बारे में भी आधी-अधूरी जानकारी सामने आयी है। उनके सीवी और पासपोर्ट में भी अलग-अलग जन्मतिथि दर्ज हैं। सीवी के अनुसार पोखरियाल का जन्म 15 अगस्त 1959 को हुआ, जबकि उनके पासपोर्ट में 15 जुलाई 1959 की जन्मतिथि दर्ज है। आपको बता दें 5 उत्तराखंड के पौड़ी जिले के पिनानी गांव में जन्मे निशंक ने हेमवती बहुगुना गढ़वाल विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की है और उनके पास पीएचडी (ऑनर्स) और डी. लिट (ऑनर्स) की भी डिग्री है।