केदारनाथ धाम में साल 2013 में भयंकर आपदा आयी थी जिसमें हजारों की संख्या में लोग मर गये थे, उस दौरान जल प्रलय को देखते हुए लोग इधर-उधर रास्तों में भागते रहे और भूख-प्यास के कारण तड़पकर मर गये। उस दौरान उत्तराखंड की कांग्रेस सरकार और वर्तमान की भाजपा सरकार ने नर कंकालों की खोजबीन में यहाँ काफी सारे सर्च अभियान चलाये और दावा किया कि केदारघाटी से सारे नरकंकालों को ढूंड लिया गया है। पर पिछले दिनों एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सर्कार को एक बार फिर केदारघाटी में नरकंकालों को ढूंडने के लिए सर्च अभियान चलाने के निर्देश दिए थे।
इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर पुलिस मुख्यालय ने 11 अक्टूबर को 5 आईपीएस अफसरों के नेत्रित्व में पुलिस की टीम को एक बार फिर केदारनाथ में नरकंकालों की तलाश में भेज दिया था, इस सर्च ओपरेशन के लिए 5 अलग-अलग टीमें गठित की गयी जिन्हें केदारनाथ घाटी में 5 अलग-अलग रास्तों में भेजा गया। इस अभियान के दौरान पुराने रामबाड़ा रास्ते और इससे लगे इलाके में सबसे अधिक नरकंकाल मिले हैं यहाँ टीम ने 18 नरकंकाल की खोपड़ियाँ बरामद की हैं, इसके अलावा त्रियुगीनारायण रूट पर सर्च टीम को 3 नरकंकाल बरामद हुए हैं। बासुकिताल, चौमासी और केदारनाथ मंदिर वाले रास्ते पर सर्च टीम को जूते-चप्पल और कुछ हड्डियाँ बरामद हुई हैं।
हाईकोर्ट के निर्देश पर चलाये गये इस सर्च अभियान के बाद पूर्व की कांग्रेस सरकार और वर्तमान की भाजपा सरकार के दावे एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गये हैं, क्यूंकि जब सिर्फ 2 दिन के लिए चलाये गये सर्च अभियान में 21 नरकंकाल बरामद हो सकते हैं तो अगर ये अभियान कुछ दिन और लम्बा चलाया जाता तो यह संख्या बढ़ भी सकती है। इससे पहले सरकार दावा करती रही है कि केदारनाथ में 4000 लोग लापता हुए थे इस दौरान जो सर्च अभियान चलाया गया उसमें 678 शव बरामद किये गये थे। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का नये नरकंकाल मिलने पर कहना है कि रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जायेगी, हाईकोर्ट में कब ये रिपोर्ट पेश होगी उस पर कुछ भी कहना मुश्किल है।