उत्तराखंड में युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं और बेरोजागारी के कारण आए दिन बेरोजगार युवक-युवती ठगी का शिकार हो रहे हैं तो वहीं कुछ पढ़े लिखे लोगों को नौकरी न मिलने के कारण वो गलत रास्ते को चुन रहे हैं। जी हां साइबर थाना पुलिस ने वन विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले दो दोस्तों को गिरफ्तार किया है। दोनों खुद को वन विभाग में अफसर बताते थे। आरोप है कि इन लोगों ने बेरोजगारों से करीब 25 लाख रुपये से अधिक की वसूली की है। आरोपियों ने कुमाऊं और गढ़वाल के युवकों को वन विभाग में ट्रेनिंग भी दिलाई थी। तलाशी में इनके पास से काफी संख्या में जाली नियुक्तिपत्र और वन विभाग के फर्जी लेटरपैड बरामद हुए हैं।
स्पेशल टास्क फोर्स की पुलिस उप महानिरीक्षक रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि साइबर थाने को छह दिन पहले शिकायत मिली थी कि कुछ लोग सोशल मीडिया के माध्यम से वन विभाग उत्तराखंड में विभिन्न पदों पर नियुक्ति दिलाने के नाम पर बेरोजगारों को ठग रहे हैं। इस मामले में वन विभाग के अधिकारी की तरफ से मुकदमा दर्ज कर इंस्पेक्टर पंकज पोखरियाल को विवेचना सौंपी गई। विवेचना के दौरान पता चला कि बेरोजगारों को नमामी गंगे, उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन और वन विभाग में वन बीट अधिकारी, वन दरोगा, लोअर डिविजन क्लर्क, अकाउंटेंट आदि पदों पर भर्ती का प्रलोभन दिया जा रहा है।
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आरोपी खुद को वन विभाग में बड़े पदों पर आसीन बताकर बेरोजगारों से तीन से पांच लाख रुपये वसूल रहे हैं। पुलिस ने जांच पड़ताल के बाद सरगना सुमितानन्द भट्ट निवासी ग्राम ककोला, रुद्रप्रयाग (हाल निवासी अजबपुर खुर्द नेहरू कालोनी) को गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि तलाशी में आरोपी से वन विभाग में विभिन्न पदों के नियुक्तिपत्र, वन विभाग के फर्जी लेटरपैड, शैक्षिक प्रमाणपत्र, विभिन्न बैंकों के खातों से संबंधित चैक बुक, एटीएम कार्ड, डोंगल, रबर मुहर आदि बरामद हुए।
बताया कि इस धंधे में पौड़ी गढ़वाल निवासी विक्की सिंह राणा भी शामिल है, जिसने वानिकी में मास्टर डिग्री हासिल कर रखी है। उसे वन विभाग के बारे में अच्छी जानकारी है। साइबर थाना पुलिस ने इसी आधार पर विक्की सिंह राणा निवासी अमकोटी पौड़ी गढ़वाल (हाल निवासी ढालवाला, थाना मुनिकीरेती) को ऋषिकेश से गिरफ्तार किया।