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जानिये किस शातिर तरीके से उत्तराखंड में बैठकर ठग लुट रहे थे अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से पैंसा

एक बड़ा ही अजीबोगरीब तरह का किस्सा इन दिनों पूरे उत्तराखंड सहित देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है और इसका कारण ये है कि किस शातिर तरीके से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बैठकर ठग सात समुन्दर पार बैठे विदेशियों को चूना लगा रहे थे। पर अफसोस की बात ये है कि इस तरह का तेज दिमाग उन्होंने किसी अच्छे काम में लगाया होता तो उनका और देश के अन्य लोगों का भी भला हो रहा होता। पूरा वाकया ये है कि देहरादून में बैठे ये ठग कॉल सेंटर से विदेशियों के कंप्यूटर पर माइक्रोसॉफ्ट के फर्जी पॉप अप (चेतावनी संदेश) भेजते और फिर इसे हटाने के लिए डॉलर में पैसा वसूलते थे।

माइक्रोसॉफ्ट कंपनी और कनाडा पुलिस को जब इसके बारे में थोड़ी सी जानकारी मिली तो उन्होंने देहरादून पुलिस से संपर्क किया। इस पर मंगलवार की देर रात को पटेलनगर और क्लेमेंटटाउन थाना क्षेत्र में चार कॉल सेंटर में छापा मारकर पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती ने इस पर बताया कि इस सूचना पर गोपनीय जांच की गई। मंगलवार रात करीब दो बजे पुलिस की चार टीमों ने ट्रांसपोर्ट नगर स्थित संधू सेंटर और बिजनेस पार्क में चार कॉल सेंटरों में छापे मारे और जहाँ से पांच युवकों को गिरफ्तार किया गया है। इनके खिलाफ माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के भारतीय कार्यालय के अधिकारी भूपेंद्र सिंह की ओर से क्लेमेंटटाउन थाने में दो मुकदमे दर्ज कराए गए। आरोपियों के पास से 27 हार्ड डिस्क, चार सर्वर, तीन लैपटॉप, तीन मोबाइल और एक पेन ड्राइव बरामद की गई है।

अब तक की गयी जांच में सामने आया है कि ये सभी आरोपी उच्च शिक्षित और साइबर एक्सपर्ट हैं और देहरादून में बैठकर ये लोग कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में ऑनलाइन रहने वाले कंप्यूटर चलाने वालों को निशाना बनाते थे। विदेशियों के कंप्यूटर  पर वे अपने सर्वर से एक पॉप-अप (चेतावनी संदेश) भेजते थे दिखने में यह संदेश हूबहू माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के पॉप अप जैसा होता था। इस पॉप अप के स्क्रीन पर आने से कुछ देर के लिए स्क्रीन ढक जाती थी और जैसे ही यूजर इस पर क्लिक करता तो उसे एक टॉल फ्री नंबर दिखता था।

इस टोल फ्री नम्बर पर जब यूजर कॉल करता था तो यहां बैठे ये लोग उसे हटाने के लिए शुल्क जमा करने को बताते थे और यह शुल्क 300 अमेरिकन डॉलर से 2500 डॉलर तक होता था। जब कीमत पर बात बन जाती थी तो वह रकम ऑनलाइन इन ठगों के खातों में ट्रांसफर करवाई जाती थी फिर पैंसे मिलने के बाद ये लोग उस पॉप अप को उनके कंप्यूटर से हटा देते थे। जिन कॉल सेंटर पर कार्रवाई हुई उनमें दो एस टेक्नोलॉजी, पेंटल और जेड कंपनी के एक-एक कॉल सेंटर हैं। इन चारों कॉल सेंटरों में से किसी के पास भी डिपार्टमेंट ऑफ टेली कम्यूनिकेशन का लाइसेंस नहीं है।


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