उत्तराखंड कांग्रेस के दिग्गज नाता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। उनके खिलाफ स्टिंग मामले में सीबीआई एफआईआर दर्ज करने जा रही है। सीबीआई ने उच्च न्यायालय को मंगलवार को इस आशय की जानकारी भी दे दी है। न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकल पीठ मामले की सुनवाई कर रही है। हरीश रावत के स्टिंग मामले में उच्च न्यायालय में सुनवाई को 20 सितंबर की तिथि तय की गयी है। इससे पहले सीबीआई ने उच्च न्यायालय में बीती 21 अगस्त को स्टिंग मामले की प्रारंभिक जांच पूरी करने की जानकारी के साथ जल्द सुनवाई का अनुरोध भी कोर्ट से किया था। श्यामा चौहान का ‘गुलाब गैंग’, 100 महिलाओं को भी दे रहीं रोजगार
आपको बता दें साल 2016 में एक निजी चैनल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का एक स्टिंग दिखाया था। इस स्टिंग में रावत सरकार बचाने के लिए विधायकों से सौदेबाजी करते नजर आ रहे थे। इस दौरान कांग्रेस के कुछ विधायक भाजपा में शामिल हो गए और प्रदेश सरकार अल्पतम में आ गयी थे जिसके बाद उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लग गया था। राष्ट्रपति शासन लगाने का मामला पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, और उसके बाद रावत सरकार बहाल हो गई थी। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद का कारनामा, उत्तरपुस्तिका में मिले 91 नंबर और मार्कशीट में हो गए 57
कोर्ट ने पूर्व में सीबीआइ को निर्देश दिए थे कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से पहले अदालत को अवगत कराएंगे। मामले की सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की एकलपीठ में हुई। पूर्व सीएम ने याचिका दायर कर कहा था कि कांग्रेस सरकार गिरने पर उनके ऊपर स्टिंग व विधायकों की खरीद फरोख्त का मामला सीबीआइ दर्ज करने जा रही है। इधर, सीबीआइ के इस कदम से केंद्र से लेकर उत्तराखंड की सियासत गरमाने के पूरे-पूरे आसार हैं। ताजा सुनवाई में सीबीआई ने अदालत को बताया कि वह इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने जा रही है।