आजतक हमने पेड़ों पर बनी तमाम तरह की बातें सुनी हैं कि पेड़ की हमारे जीवन में क्या अहमियत है इसीलिए तो एक पेड़ को 10 पुत्रों के समान भी माना जाता है। पर अगर हम आपसे कहैं कि कुछ पेड़ों की वजह से 11 जिन्दिगियाँ पूरी तरह से बचने में सफल रही तो आपको थोड़ी देर के लिए भरोसा करना मुश्किल होगा लेकिन ये बात है 16 आना सच। चलिए अब आपको पूरी घटना से रूबरू करवाते हैं ये पूरा वाकया है उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी की जहाँ हल्द्वानी से नथुवाखान जा रही केमू बस (यूके04 पीए01135) जैसे ही रामगढ़ में गागर के पास पहुंची, बर्फ में फिसलकर सड़क से नीचे चली गई थी।
इसे कुदरत का करिश्मा कहैं या कुछ और कि जब बस फिसलकर गहरी खाई की तरफ जा रही थी तो ढलान की तरफ कुछ पेड़ खड़े थे और उन पर जाकर पूरी की पूरी बस अटक गयी। इस दौरान बस में सवार यात्रियों में चीख-पुकार मच गई और लोग जोर से बचाओ-बचाओ चिल्लाने लगे। जैसे ही ये तेज आवाजें आस-पास के लोगों ने सुनी वो तुरंत घटनास्थल की ओर दोड़ पड़े और फिर वहां पर लोगों का हुजूम जुट गया। इसके बाद लोगों ने बड़ी मुश्किल से यात्रियों को बस से बाहर निकाला जिसके बाद सभी यात्रियों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामगढ़ ले जाया गया। जहां से चार लोगों की हालत गंभीर होने पर उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी रेफर कर दिया गया और बाकी सात सवारियों को मामूली चोटें ही आईं थी।
हल्द्वानी से जब ये बस चली तो बस चली थी तो उसमें कुल 18 यात्री सवार थे, लेकिन रामगढ़ से सड़क पर बर्फ की स्थिति देखकर सात यात्री पहले ही बाहर उतर गए थे। इस कारण वह दुर्घटना का शिकार होने से बच गए और बाकी 11 यात्रियों को इस दौरान चोटें लगी। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग का ये हाल है कि दुर्घटना की सूचना मिलते ही लोगों ने 108 सेवा को फोन किया, मगर रामगढ़ में 108 सेवा खराब थी। बाद में चिकित्सा विभाग ने नैनीताल से 108 को दुर्घटनास्थल के लिए रवाना किया। इस कारण 108 दुर्घटना स्थल पर लगभग साढ़े तीन घंटे देरी से पहुंची। और तब तक यहां से सभी यात्रियों को सीएचसी रामगढ़ पहुंचाया जा चुका था।