आधुनिक भारत की तस्वीर देखनी हो तो उत्तराखंड के गांवों में सड़क और स्वास्थ्य ब्यवस्था का हाल अवश्य जानना चाहिए। स्थिति कितनी दर्दनाक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी किसी मरीज को 19 किलोमीटर पैदल ही सड़क तक पहुँचाया जा रहा है। डुमक गांव के बचन सिंह सनवाल जो पेड़ से गिर कर बुरी तरह घायल हो गये थे। उन्हें सड़क के अभाव में डांडी पालकी में लादकर 19 किमी भारी बर्फ के बीच पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाने के लिये ग्रामीणों को विवश होना पड़ा। डुमक गांव के 57 वर्षीय बचन सिंह सनवाल शनिवार को गांव के पास के जंगल में पेड़ से अपनी बकरियों के लिये हरी पत्तियां काट रहे थे कि पेड़ से अचानक गिर कर गहरी खाई में जा गिरे पड़े।
घायल बचन सिंह को घटना स्थल से किसी तरह गांव में लाये। पर दूर दूर तक न अस्पताल और न सड़क होने से ग्रामीणों ने दर्द से कराहते मरीज बचन सिंह को डांडी में बैठाकर 19 किमी पैदल चलकर जिला चिकित्सालय में लाने के लिये विवश होना पड़ा। पूरा पैदल रास्ता बर्फ से लकदग है और भंयकर चट्टान का भी है। मरीज को डांडी मे जिला चिकित्सालय ला रहे ग्रामीण लक्ष्मण सनवाल, बच्चन सिंह,राकेश सनवाल , रामकिशोर भंडारी, आनन्द सिंह सनवाल, मनोज सनवाल, सोबन सिंह डुमक, कलगोंठ, किमाणा, पल्ला जखोला गांवो की दर्दनाक स्थिति के बारे में बताते हैं कि आजादी के 72 सालों में भी अभी तक हमारे गांव सड़क और स्वास्थ्य सुविधा से वंचित हैं। ग्रामीण कहते हैं कि सड़क के लिये कई बार संघर्ष किया है पर कोई नहीं सुनता है।
डुमक कलगोंठ, किमाणा पल्ला जखोला के ग्रामीण पिछले 35 सालों से सड़क के लिये संघर्ष कर रहे हैं। वे जलूस की शक्ल में कई बार जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन भी कर चुके हैं। ग्रामीण बताते हैं कि सरकार हर बार आस्वासन देती है पर सड़क नहीं बनाती। अपना आक्रोश जाहिर करने के लिये ग्रामीणों ने लोक सभा और विधान सभा चुनाव का बहिष्कार करने का भी निर्णय लिया। पर अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ।