कड़ाके की ठंड के बीच बृहस्पतिवार से शुरू हुए विधानसभा सत्र के पहले ही दिन सरकार ने बहुप्रतीक्षित उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण विधेयक 2017 को पारित करा दिया। इसके साथ ही सरकार ने ट्रांसफर को लेकर एक और बड़ा फैसला लिया।
सरकान ने प्रावधान किया है किया है कि, प्रवर समिति के आधार पर संशोधन के साथ पारित हुए विधेयक में स्थानांतरण रोकने के लिए आवेदन या सिफारिश कराने वाले कार्मिकों को दंड भुगतना होगा। सरकार ने यह भी साफ किया है कि कार्यमंत्रणा की बैठक में यदि लोकायुक्त विधेयक पर सहमति बनती है, तो वह इसके लिए भी तैयार है।
सत्र का पहला दिन पिछले सत्रों से इस रूप में जुदा दिखा कि विपक्ष ने सदन में बहुत शोर-शराबा नहीं किया। सरकार हवन करके सदन में पहुंची तो विपक्ष सधे अंदाज में उसकी राह देख रहा था।
कार्यवाही शुरू होते ही उसने पहले प्रश्नकाल में फिर कार्यस्थगन प्रस्ताव के दौरान तेवर दिखाए। निकायों के सीमा विस्तार, किसानों के गन्ना मूल्य, चीनी मिलों के बंद करने, गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की।
विपक्ष ने किडनी कांड के मुद्दे को भी सदन में उठाने का प्रयास किया, मगर पीठ से इसकी अनुमति नहीं मिली। इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने स्थानांतरण विधेयक को चर्चा के लिए सदन पटल पेश किया।
उन्होंने विधेयक में किए गए प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विधेयक में गंभीर रूप से बीमार लोकसेवकों को स्थानांतरण में छूट देने के प्रावधान किए गए हैं। विधेयक में अनुभव के आधार पर स्थानांतरण और अनिवार्य स्थानांतरण की खास व्यवस्था की गई है। चर्चा के बाद विधेयक को पारित कर दिया गया।