Home उत्तराखंड अरसा ! ये मेरे पहाड़ की असली मिठाई है…

अरसा ! ये मेरे पहाड़ की असली मिठाई है…

अरसा…इसे एक बार मुंह में रख लीजिए, तो कभी ना भूलने वाली मिठास मंह में घुल जाती है। आज खाइए, या कल खाइए, या एक महीने बाद, अरसे का स्वाद ताउम्र एक जैसा रहेगा। ये मेरे पहाड़ की असली मिठाई है। न कोई मिलावट न दिखावा, विशुद्ध पहाडी समौण। बरसों से मेरे पहाड़ के गांव में रहने वाले लोग अपनी बेटियों को ससुराल जाते समय मिठाई के रूप मे अरसे को समौण देते हैं। ये अरसे न केवल एक मिठाई होती है अपितु ये अपनत्व, स्नेह, प्यार का प्रतीक भी होती है देने वाले व्यक्ति की। चावल, भेली और तेल से तैयार अरसे लंबे समय तक खराब भी नहीं होते हैं। खानें में इनका स्वाद आज भी बेजोड़ है। अरसे को बांटना पहाड़ के लोक में शुभ शगुन माना जाता है।

शादी ब्याह सहित अन्य खुशी के मौके पर भी ये परम्परागत मिठाई बरसों से मेरे पहाड़ में बनाई जाती है। पहले इस मिठाई को ले जाने के लिए रिंगाल का बना हथकंडी बनाया जाता था, जिसमें मालू/तिमला के पत्ते को भिमल/सेब की रस्सी से बांधकर रिश्तेदारों को भेजा जाता था। बदलते दौर में जो अब महज यादों में ही सिमट कर रह गया है। भले ही आज लोग मंहगी से मंहगी बंद डिब्बे में पैक्ड मिठाई को एक दूसरे को दे रहे हो। लेकिन जो स्वाद, मिठास और अपनत्व मेरे पहाड़ के इन अरसों में है वो और कहां…

अरसा बनाने की विधि: अरसा बनाने के लिए चावलों को 10 घंटे पहले भिगो दें। तत्पश्चात चावलों को कूट लें और उसे आटे के समान छानकर अलग रख लें। फिर गुड़ की दो तार की चाश्नी बनाएं और उसमें चावल केइस आटे को गूंथ लें और अब उससे छोटी—छोटी लोइयां बनाकर पकोड़ी की तरह गरम तेल में तलें। जब इनका रंग गुलाबी हो जाये तो उन्हें अलग से निकाल लें। घी के साथ घर आए मेहमानों को परोसें।

 


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