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जब जंगल में एक-दूसरे पर बंदूक तानकर खड़े हुए माओवादी बहन और पुलिसवाला भाई…

भाई और बहन का रिश्ता भी कितना अजीब होता है. एक दूसरे से लड़ते हैं, झगड़ते हैं. मार-पिटाई करते हैं. पर शायद ही कभी एक दूसरे की जान लेने की सोचते होंगे. पर कभी मजबूरन उन्हें ऐसा करना भी पड़ जाए तो? ऐसा ही कुछ हुआ वेती रामा के साथ. एक तरफ उनकी ड्यूटी थी और दूसरी तरफ बहन. रामा ने ड्यूटी चुनी और उन्हें अपनी बहन पर गोली चलानी पड़ी.

इस वजह से रामा ने गोली चलाई 

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वेती रामा और वेती कन्नी दोनों भाई बहन हैं. 1990 में दोनों छत्तीसगढ़ के गगनपल्ली गांव में दूसरे लोगों के साथ माओवादी आंदोलन में शामिल हुए थे. समय के साथ दोनों ही प्रभावशाली माओवादी नेता बने. दोनों नक्सलियों की भर्ती करने लगे.

हालांकि रामा ने आत्मसमर्पण कर दिया था. अगस्त 2018 में. इसके बाद उनकी पुलिस में नौकरी भी लग गई. उन्होंने कन्नी से भी सरेंडर करने की अपील की थी लेकिन वो तैयार नहीं हुई. किसे पता था कि एक साल के अंदर ही दोनों भाई-बहन आमने-सामने होंगे.

29 जुलाई की सुबह थी. छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका. यहां का नक्सल प्रभावित सुकमा जिला. सुरक्षाबल की 140 सदस्यीय टीम के साथ रामा ऑपरेशन पर निकले. एक नक्सली कैम्प को घेर लिया. इत्तेफाक देखिये, उसी कैम्प में कन्नी मौजूद थी. अपने 30 साथियों के साथ. कन्नी भागने की कोशिश में थी, इतने में रामा उसके सामने आ गए. कन्नी के साथी रामा पर गोली चलाने लगे. जवाब में रामा ने भी गोलियां चलाईं. वह संभल पाते इससे पहले ही कन्नी वहां से भाग चुकी थी.

रामा और कन्नी दोनों धोखे से माओवादी बने

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, रामा का कहना है कि वो ‘बाल समागम’ में शामिल हुए थे. उन्हें ये बताया गया था कि ये एक आंदोलन है, जो गरीबों के लिए है. रामा जंतर-मंतर की देखभाल करते थे. पहले एसीएम यानी एरिया कमेटी मेंबर (क्षेत्रीय समति सदस्य) थे, पर बाद में उन्हें उस पद से हटा दिया गया था. फिर CPI (माओवादी) यानी कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के दूसरे किसी विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया.

इस कारण वो सात साल तक अपनी पत्नी से भी नहीं मिल पाए थे. सीनियर नक्सली कमांडरों ने कभी भी रामा के किए गए कामों का सम्मान नहीं किया. रामा पर 6.5 लाख का इनाम था. जब उन्हें मालूम चला कि आत्मसमर्पण कर सकते हैं तो उन्होंने सरेंडर कर दिया. उनका कहना है कि सरेंडर करने के बाद सुरक्षाबलों के लिए उन्होंने 10 बड़े अभियानों को लीड भी किया है.

रामा अपनी बहन से भी आत्मसमर्पण चाहते हैं

रामा चाहते हैं कि उनकी बहन भी आत्मसमर्पण कर दे. उन्होंने अपनी बहन को तीन लेटर भी लिखे. और आत्मसमर्पण करने के लिए कहा. पर कन्नी ने लेटर के जवाब में कहा कि रामा को समर्पण के लिए आग्रह नहीं करना चाहिए. वो एक क्रांतिकारी है और उसे किसी पैसे या पुनर्वास का लालच नहीं है.

कन्नी के मुताबिक, रामा को ये नहीं सोचना चाहिए कि वो खुद को बचा सकते हैं. वो तो देशद्रोही हैं. कन्नी ने लेटर में लिखा कि रामा ने पुलिस में शामिल होने के बाद कमजोर और निर्दोष लोगों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया. ऐसा करके वो खुद को दोखा दे रहे हैं.कन्नी ने ये लेटर 8 नवंबर, 2018 में लिखा था.

रामा का कहना है कि वो गोली नहीं चलाना चाहते थे. पर उन्हें ऐसा मजबूरन करना पड़ा. उनका कहना है कि वो कन्नी से सिर्फ गिरफ्तार करने या फिर आत्मसमर्पण करने की रिक्वेस्ट ही कर सकते हैं. पर वो मुठभेड़ में कभी उन्हें मारना नहीं चाहते हैं.

पुलिस के एक उप-विभागीय अधिकार (एसडीओपी) चंद्रेश सिंह ठाकुर का कहना है कि रामा के आत्मसमर्पण करने के बाद, पुलिस ने कई सफल माओवादी ऑपरेशन किए. और कामयाबी भी मिली.

कन्नी कोंटा में सीपीआई(माओवादी) क्षेत्रीय समिति की सदस्य है. उस पर भी 5 लाख रुपए का इनाम है. वो गिरफ्तार माओवादियों को कानूनी मदद देने और पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने वाले सीपीआई(माओवादी) के परिवारवालों के रहने के लिए काम करती है.


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